भारत के किस राज्य में सबसे पहले स्थापित हुआ था High Court? जानिए
देश में पहला उच्च न्यायालय किस राज्य में और किस कानून के तहत स्थापित किया गया? भारत का पहला हाईकोर्ट कब अस्तित्व में आया, आइए जानते हैं...
देश में पहला उच्च न्यायालय किस राज्य में और किस कानून के तहत स्थापित किया गया? भारत का पहला हाईकोर्ट कब अस्तित्व में आया, आइए जानते हैं...
यह फैसला ऐसे समय हुआ है जब परीक्षण के समय को लेकर अनिश्चितताएं मंडरा रही हैं क्योंकि सुजय भद्रा, जिन्हें कालीघाटर काकू (कालीघाट के चाचा) के नाम से भी जाना जाता है, अभी कोलकाता के एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती हैं।
इस साल 7 जुलाई को, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को 2016 में भर्ती किए गए 5,500 उच्च माध्यमिक शिक्षकों के साथ-साथ प्रतीक्षा सूची में रहने वाले शिक्षकों की ओएमआर शीट प्रकाशित करने का निर्देश दिया।
कलकत्ता में कई मनी लौंड्रिंग के मामलों के चलते उच्च न्यायालय ने हाल ही में तीन नए पीएमएलए अदालतों की अनुमति दे दी है। इस बारे में डिटेल में जानिए...
आम आदमी के साथ-साथ यदि कोई अधिवक्ता या न्यायाधीश भी 'न्यायालय की अवमानना' करता है, तो उसे भी इस कानून के तहत सजा मिलती है। जानिए न्यायाधीश सी एस कर्णन के बारे में, जिनके खिलाफ सिटिंग जज रहते हुए 'कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट' की कार्रवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में तीन हाई कोर्ट जजों के स्थानांतरण की अनुशंसा की थी. इन न्यायाधीशों ने सिफारिश की थी कि वो किस उच्च न्यायालय में जाना चाहते हैं। लेकिन कॉलेजियम ने उनके अनुरोध को खारिज कर दिया है.
अदालत ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने की प्रार्थना को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी प्रार्थना स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है।
पश्चिम बंगाल की सरकार के खिलाफ विपक्ष ने आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की जिसकी सुनवाई के दौरान कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग से कुछ सवाल पूछे
विवादों से घिरी फिल्म 'आदिपुरुष' पर प्रतिबंध लगाने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर आपत्ति जताते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा है कि ये एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन है या 'पब्लिसिटी' इंटरेस्ट लिटिगेशन?
आदिपुरुष का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है! फिल्म पर रोक लगाने के लिए अब कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील की बहुत खिंचाई की है और यह भी पूछा है कि ये एक 'पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' है या 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन'?
15 जून को, कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति चटर्जी की खंडपीठ ने नगर पालिकाओं की भर्ती मामले में केंद्रीय एजेंसी से जांच के पहले एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को बरकरार रखा था
लगभग 2,700 सिविल मामले और 1,700 से अधिक सत्र मामले लंबित हैं. रिकॉर्ड से पता चला है कि इनमें से कुल 1,032 मामले POCSO से संबंधित हैं.
सीबीआई और सीआईडी दोनों को 26 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख पर अपनी-अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया
न्यायमूर्ति सिन्हा ने सीबीआई को 7 जुलाई तक मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया
आदेश सुरक्षित रखने के बाद खंडपीठ ने 26 जून को अगली तारीख तय की. अंतिम आदेश सुनाए जाने तक खंडपीठ ने सीबीआई को कोई भी कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया.
राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका पर सुनवाई गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ में होनी है और इसी दिन मामले पर फैसला आने की उम्मीद है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय में शहर की 'विरासत' ट्राम ट्रेन के संरक्षण हेतु एक जनहित याचिका दायर की गई; इस याचिका के पक्ष में अदालत ने राज्य सरकार को एक खास निर्देश दिया है
कोलकाता की प्रसिद्ध 'ट्राम ट्रेन' को संरक्षित रखने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक समिति के गठन का आदेश दिया है। इस आदेश के पीछे का कारण क्या है और शहर की धरोहर का किस तरह संरक्षण होगा, आइए जानते हैं
लगभग 2,700 सिविल मामले और 1,700 से अधिक सत्र मामले लंबित हैं. रिकॉर्ड से पता चला है कि इनमें से कुल 1,032 मामले POCSO से संबंधित हैं.
सीबीआई और सीआईडी दोनों को 26 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख पर अपनी-अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया
न्यायमूर्ति सिन्हा ने सीबीआई को 7 जुलाई तक मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया
आदेश सुरक्षित रखने के बाद खंडपीठ ने 26 जून को अगली तारीख तय की. अंतिम आदेश सुनाए जाने तक खंडपीठ ने सीबीआई को कोई भी कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया.
राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका पर सुनवाई गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ में होनी है और इसी दिन मामले पर फैसला आने की उम्मीद है.
कोलकाता की प्रसिद्ध 'ट्राम ट्रेन' को संरक्षित रखने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक समिति के गठन का आदेश दिया है। इस आदेश के पीछे का कारण क्या है और शहर की धरोहर का किस तरह संरक्षण होगा, आइए जानते हैं
अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि 2013 में पश्चिम बंगाल में जिलों की संख्या 17 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 22 हो गई है, और इन 10 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है.
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) के संयुक्त निदेशक को निर्देश दिया कि पांच जुलाई तक आरोपों के मामले में जांच करें और सात जुलाई को अदालत में उसकी रिपोर्ट जमा करें.
विपक्षी दलों ने ताजा घटनाक्रम को शीर्ष अदालत के आदेश का घोर अपमान करार दिया, जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया गया था.
हाई कोर्ट ने 15 जून को राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि पंचायत चुनाव के लिए पूरे पश्चिम बंगाल में 48 घंटे के अंदर केंद्रीय बलों की मांग की जाए और उन्हें तैनात किया जाए.
कोलकाता में रथ यात्रा को पुलिस ने प्रतिबंधित किया जिसपर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पुलिस की आलोचना करते हुए इसे 'निहायती अनुचित' बताया है...
टुआ समुदाय के कुछ लोगों द्वारा 11 जून को मंदिर में काले झंडे लहराने के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने कुछ केंद्रीय सशस्त्र बल कर्मियों के खिलाफ चार प्राथमिकी दर्ज की हैं.
पंचायत चुनाव में हुए हिंसा की घटनाओं को लेकर, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनाव से पहले राज्य के सात जिलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया था.
कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ ने हाल ही में एक अहम् टिप्पड़ी करते हुए कहा कि "भारतीय समाज में, यदि एक पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति प्राप्त करने के लिए प्रतिफल राशि की आपूर्ति करता है, तो इस तरह के तथ्य का अर्थ बेनामी लेनदेन नहीं है."
पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो राजू झा लम्बे समय से अवैध कोयला कारोबार में शामिल हो चुके थे. इसमें कहा गया है कि साल 2004 से 2011 तक झा ने अवैध कारोबार से पैसा कमाया और उसे होटल और बस सेवा व्यवसायों में उस पैसे को लगाया.
न्यायमूर्ति मंथा की पीठ को हाल ही में राज्य पुलिस के खिलाफ एसआईटी के साथ सहयोग नहीं करने की शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद जस्टिस मंथा ने कड़ी आपत्ति जताते हुए गुरुवार को गृह विभाग से सात दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी.
अदालत ने कोलकाता पुलिस को फैजान के शव को वापस असम के डिब्रूगढ़ ले जाने की व्यवस्था करने और अंतिम संस्कार के लिए परिवार के सदस्यों को सौंपने का निर्देश दिया. छात्र डिब्रूगढ़ का निवासी था और उसे वहीं दफनाया गया था.
जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि शुक्रवार को कुछ अन्य लंबित मामलों की सुनवाई होनी है.