वकील को कब किया जा सकता है गिरफ्तार, कानून के तहत उन्हें क्या हैं विशेषाधिकार?
भारत में वकील को कब गिरफ्तार किया जा सकता है, उसकी क्या शर्ते हैं और कानून के तहत उन्हें क्या कोई विशेषधिकार मिले हैं, जानिए
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बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो नोटिस मिलने के बाद भी पुलिस के सामने हाजिर नहीं होते, तो ऐसे में पुलिस कोर्ट से उस व्यक्ति के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करवा सकती है.
कई मामलों में पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट के ऑर्डर या वारंट के बिना ही किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है.
लोक अभियोजक योगेश यादव ने भाषा को बताया कि जिला अदालत ने कांग्रेस नेता की याचिका को आंशिक रूप से विचारार्थ स्वीकार कर लिया और वारंट को जमानती वारंट में बदल दिया.
गिरफ्तारी को लेकर समाज में अलग -अलग धारणाएं बनी हुई है. कई मामलों में आपने सुना होगा कि किसी की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट कैसे जारी किया जाता है.
फिल्मों में आपने देखा होगा कि पुलिस किसी को अरेस्ट करने के लिए वारंट लेकर आती है. लेकिन सवाल ये उठता है कि वो वारंट कौन जारी करता है.
हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई प्रावधान हैं, इसलिए अगर आरोपी एक महिला है, तो गिरफ्तारी की उचित प्रक्रिया और अधिकारों को जानना भी महत्वपूर्ण हो जाता है
गिरफ्तारी वारंट का नाम सुनते ही कई लोगों के पसीने छूट जाते हैं. हालाँकि इसको लेकर कई सवाल भी होते हैं, जैसे ये कब, किसको और किसके द्वारा जारी किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको इन सवालों के ही जवाब देंगें.
एक पुलिस अधिकारी जो वारंट को निष्पादित करता है, वह गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को इसकी सूचना देगा और यदि वह मांग करता है, तो वह उसे वारंट दिखाएगा.
जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, उसे हिरासत में रखा जाता है लेकिन हिरासत में रखना आवश्यक नहीं गिरफ्तारी हो. अर्थात हिरासत और गिरफ्तारी दोनों का अर्थ और उद्देश्य अलग-अलग है.
अगर पुलिस किसी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेती है जिस पर गंभीर अपराध के आरोप हैं और उस मामले में जांच के लिए उस व्यक्ति से पूछताछ करने की जरुरत होती है तो ऐसे में सीआरपीसी (CrPC) की धारा 167 के तहत उसे 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना होता है.
किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए परन्तु पुलिस का काम अपराध होने से पहले उसे रोकना भी है इसलिए कुछ खास परिस्थितियों में पुलिस के पास गिरफ्तारी के कुछ विशेषाधिकार हैं.
हमारे देश में महिलाओं के सम्मान को बनाए रखने के लिए यूं तो संविधान के तहत कई अधिकार दिए गए है. लेकिन उनके अतिरिक्त, गिरफ्तारी के दौरान महिला की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए CrPC में कई प्रावधान किए गए है.
अकारण गिरफ्तारी एक नागरिक को मिले स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों का हनन माना जाता है. लेकिन CrPC के अनुसार कई मामलों में पुलिस एक नागरिक को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है.
भारतीय दंड सहिंता की धारा 220 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी सम्मानित पद या कार्यालय में होने के नाते अगर उस पद का गलत इस्तेमाल करता है और वह किसी भी व्यक्ति पर मुकदमे करता है या कैद में रखता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.