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Gujarat High Court ने व्यवसायी को मिली उम्र कैद पर लगाई रोक, NIA Court ने इसलिए सुनाई थी सजा

एनआईए अदालत ने एक व्यवसायी को इसलिए उम्र कैद की सजा सुनाई थी क्योंकि 2017 में उसने मुंबई-दिल्ली उड़ान में अपहरण की धमकी का संदेश छोड़ा था। इस फैसले को अब गुजरात उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है...

Gujarat High Court

Written by Ananya Srivastava |Published : August 9, 2023 10:40 AM IST

अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) ने मंगलवार को एनआईए अदालत (NIA Court) के 2019 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 2017 में मुंबई-दिल्ली उड़ान में अपहरण की धमकी का संदेश छोड़ने के लिए एक व्यवसायी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत ने उसे विमान अपहरण के अपराध के लिए सजा सुनाई थी जो “साक्ष्य के आधार पर संदेह से घिरा है”।

समाचार एजेंसी भाषा के हिसाब से व्यवसायी बिरजू सल्ला पहले व्यक्ति थे जिन पर कड़े अपहरण रोधी अधिनियम, 2016 के तहत मामला दर्ज किया गया था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने उसके खिलाफ अपहरण रोधी अधिनियम, 2016 की धारा 3(1), 3(2)(ए) और 4(बी) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था।

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उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति एम.आर. मेंगडे की खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता (सल्ला) को अधिनियम की धारा 3(1) और 3(2)(ए) के तहत अपराधों से बरी किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगली कड़ी के रूप में अधिनियम की धारा 4 (बी) के तहत सजा को रद्द कर दिया गया है।

सल्ला को पांच करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि वह पहले ही भुगतान कर दिया गया हो तो उसे वापस कर दिया जाए। अहमदाबाद में विशेष एनआईए अदालत ने 11 जून, 2019 को सल्ला को अक्टूबर 2017 में मुंबई-दिल्ली उड़ान पर अपहरण की धमकी वाला संदेश छोड़ने के लिए अपहरण रोधी अधिनियम, 2016 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई और पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

सल्ला वह पहले शख्स थे जिनके खिलाफ सख्त अपहरण रोधी अधिनियम, 2016 के तहत मामला दर्ज किया गया। इस अधिनियम ने 1982 के एक पुराने कानून को बदल दिया था। वह “राष्ट्रीय उड़ान निषेध सूची” के तहत रखे जाने वाले पहले व्यक्ति भी थे।

सल्ला के खिलाफ एनआईए अदालत के आदेश को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि वह “सत्य के आधार पर अपहरण के अपराध के लिए अपीलकर्ता को दोषी ठहराने और सजा देने के लिए निचली अदालत द्वारा व्यक्त किए गए विचार से सहमत नहीं है, जो संदेह से भरा है।”