26/11 हमले के आतंकवादी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पन सफलतापूर्वक कराने के बाद NIA ने उन्हें 10:45 के करीब जज के सामने पेश किया. एनआईए ने राणा की 20 दिनों की कस्टडी देने की मांग की. बीते दिन स्पेशल जज चंद्रजीत सिंह ने इस मामले को सुना. इस दरम्यान वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन और नरेंद्र मान NIA की और से तो वहीं वकील पीयूष सचदेवा तहुव्वर राणा के लिए पेश हुए. दिल्ली लीगल सर्विस ऑथोरिटी (DLSA) ने तहव्वुर राणा को वकील मुहैया कराया, जिन्होंने इससे आपत्ति जताई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 18 दिन के लिए तहव्वुर राणा को NIA की कस्टडी में भेजा है. राणा को अमेरिका से बृहस्पतिवार को भारत लाया गया और यहां इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे पर पहुंचने पर औपचारिक रूप से उसे गिरफ्तार करने के बाद पटियाला हाउस स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया गया था.
सुनवाई से पहले सुरक्षा वजहों से पूरा पटियाला हाउस कोर्ट परिसर खाली करवा दिया गया था. मीडियाकर्मियों को भी परिसर के अन्दर रहने की इजाजत नही दी गई. बता दें कि सामान्यत: NIA के मामले में बंद कमरे में सुनवाई ( in camera proceeding) होती है, पर इस केस में तो कोर्ट रूम ही नहीं, पूरा कोर्ट परिसर ही खाली करवाया गया है.
अदालत में पेशी होने व दलील देने को लेकर दिल्ली लीगल सर्विस ऑथोरिटी की ओर से तहुव्वर राणा को वकील उपलब्ध कराया गया है. DLSA ने पीयूष सचदेवा को उनकी पैरवी के लिए नियुक्त किया गया है. जब किसी आरोपी को वकील नहीं मिलता तो ऐसी सूरत में कोर्ट की ओर से वकील उपलब्ध कराया जाता है. यहां तक कि अजमल कसाब की पैरवी के लिए भी वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया था, वो एमिकस क्यूरी नियुक्त किये गए थे ताकि कसाब की पैरवी कर सके. निष्पक्ष ट्रायल सुनिश्चित हो सके, इसलिए कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि आरोपी के वकील न होने की सूरत में उसे वकील उपलब्ध कराया जाए.
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के आरोपपत्र के अनुसार, राणा इस दौरान हमलों के एक अन्य सह-साजिशकर्ता ‘मेजर इकबाल’ के भी संपर्क में था. राणा आतंकी हमले से कुछ दिन पहले नवंबर 2008 में भारत आया था. मुंबई पुलिस की ओर से 26/11 हमले के मामले में 2023 में राणा के खिलाफ दायर आरोपपत्र के अनुसार, वह पवई के एक होटल में रहा था और उसने एक व्यक्ति के साथ दक्षिण मुंबई में भीड़-भाड़ वाली जगहों के बारे में चर्चा की थी. इस व्यक्ति को मामले में गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
इसके बाद, इनमें से कुछ स्थानों पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया था जिसमें 166 लोगों की जान चली गई. आतंकवादियों ने मुंबई में ताज महल होटल और ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफे, चबाड हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस ट्रेन स्टेशन को निशाना बनाया था. हेडली इन सभी स्थानों पर गया था.
PTI से बात करते हुए मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई आतंकवादी हमला मामले के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा ने सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली को भारत का वीजा दिलाने में मदद की थी. राणा ने 1990 के दशक के अंत में कनाडा में प्रवास करने और अपनी ‘इमीग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म’ शुरू करने से पहले पाकिस्तानी सेना के ‘मेडिकल कोर’ में काम किया था. बाद में वह अमेरिका चला गया था और उसने शिकागो में एक कार्यालय खोला था.
पुलिस अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि राणा ने नवंबर 2008 के हमलों से पहले अपनी कंपनी के माध्यम से हेडली को मुंबई में एक टोही मिशन पर भेजा था और उसे दस साल का वीजा विस्तार दिलाने में मदद की थी. भारत में रहने के दौरान हेडली ने आव्रजन से जुड़ा कारोबार संचालित करने का दिखावा किया और वह राणा के साथ नियमित संपर्क में था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस दौरान दोनों के बीच 230 से अधिक बार फोन पर बात हुई.