पिता के हस्ताक्षर के बिना Delhi High Court ने नाबालिग को गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति दी
गर्भपात की अनुमति देते हुए न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि संवैधानिक अदालत होने के नाते पीड़िता के हित को देखना उनका कर्तव्य है. "यह अदालत मानती है कि पीड़िता द्वारा दी गई सहमति के मद्देनजर केवल उसके पिता के गैर-जिम्मेदाराना कार्य के कारण पीड़िता को निराश नहीं किया जा सकता है..."