आरोपी की सहमति के बिना नार्को-टेस्ट करना उसके मौलिक अधिकारों का हनन', इसकी रिपोर्ट सबूत के तौर पर नहीं होगी स्वीकार्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना सहमति के नार्को टेस्ट की रिपोर्ट को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना सहमति के नार्को टेस्ट की रिपोर्ट को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.
अदालत केवल सबूत देखती है, इसलिए हर केस में गवाह और सबूत का होना महत्वपूर्ण होता है. जांच अधिकारी सबूतों को इकट्ठा करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं उन्ही में से एक है नार्को टेस्ट की प्रक्रिया.
हमारे देश में संविधान के तहत कई तरह के अधिकार आम जन को दिए गए हैं. यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति किसी केस का आरोपी है तो उनकी सुरक्षा के लिए भी कई तरह के प्रावधान किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना सहमति के नार्को टेस्ट की रिपोर्ट को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.
हमारे देश में संविधान के तहत कई तरह के अधिकार आम जन को दिए गए हैं. यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति किसी केस का आरोपी है तो उनकी सुरक्षा के लिए भी कई तरह के प्रावधान किए हैं.