क्या था उसरी चट्टी कांड, जिसमें आया मुख़्तार अंसारी और बृजेश सिंह का नाम
उसरी चट्टी हत्या कांड उत्तर प्रदेश के माफिया मुख़्तार अंसारी और भाजपा एमएलसी ब्रजेश सिंह के बीच हुए सबसे बड़े गोलीकांडों में से एक है. आज हम आपको बताएंगें क्या था ये केस
उसरी चट्टी हत्या कांड उत्तर प्रदेश के माफिया मुख़्तार अंसारी और भाजपा एमएलसी ब्रजेश सिंह के बीच हुए सबसे बड़े गोलीकांडों में से एक है. आज हम आपको बताएंगें क्या था ये केस
अपहरण और हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए अदालत ने पूर्व विधायक Mukhtar Ansari और Afzal Ansari सजा सुनाई
गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के बासनिया चट्टी में नवंबर 2005 को वहा के बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगो की हत्या कर दी गई थी.1985 से अंसारी परिवार का गढ रही गाजीपुर की मेाहमदाबाद विधानसभा सीट पर कृष्णानंद राय की जीत से अंसारी नाराज था.
विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एके श्रीवास्तव ने पाया कि अभियोजन पक्ष मुख्तार अंसारी और उनके चार सहयोगियों पर आरोप साबित करने में नाकाम रहा.
उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल 2022 के अनुसार अदालत को केवल सुपीरियर क्लास देने की संस्तुति करने का अधिकार है, उसे मानने या अस्वीकार करने का अंतिम अधिकार राज्य सरकार को है.
वर्ष 2003 में लखनऊ के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. ट्रायल के बाद इस मामले में निचली अदालत ने अंसारी को बरी कर दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया था.
वर्ष 2003 में लखनऊ के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. अवस्थी ने अपने रिपोर्ट में ये आरोप लगाया था कि जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी.
गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के बासनिया चट्टी में नवंबर 2005 को वहा के बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगो की हत्या कर दी गई थी.1985 से अंसारी परिवार का गढ रही गाजीपुर की मेाहमदाबाद विधानसभा सीट पर कृष्णानंद राय की जीत से अंसारी नाराज था.
विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एके श्रीवास्तव ने पाया कि अभियोजन पक्ष मुख्तार अंसारी और उनके चार सहयोगियों पर आरोप साबित करने में नाकाम रहा.
उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल 2022 के अनुसार अदालत को केवल सुपीरियर क्लास देने की संस्तुति करने का अधिकार है, उसे मानने या अस्वीकार करने का अंतिम अधिकार राज्य सरकार को है.
वर्ष 2003 में लखनऊ के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. ट्रायल के बाद इस मामले में निचली अदालत ने अंसारी को बरी कर दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया था.
वर्ष 2003 में लखनऊ के तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग थाने में अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. अवस्थी ने अपने रिपोर्ट में ये आरोप लगाया था कि जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी.