'मैटरनिटी लीव कामकाजी महिला के लिए एक मौलिक अधिकार'
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत नियमित और दैनिक दोनों तरह के वेतन पाने वाली महिला को इस अवकाश का लाभ पाने का हक है
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत नियमित और दैनिक दोनों तरह के वेतन पाने वाली महिला को इस अवकाश का लाभ पाने का हक है
सुप्रीम कोर्ट ने Menstrual pain leave के लिए नियम बनाने का निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत दायरे में आता है.
अदालत ने कहा कि Maternity Benefit Act कानून के अनुसार maternity leave का अधिकार बच्चे के जन्म के बाद तक भी बढाया जा सकता है ताकि बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल के लिए भी छुट्टी दी जा सके.
हमारे देश में गर्भवती महिलाओं के अधिकारों के लिए Maternity Benefit Act, 1961 है जिसके तहत कामकाजी गर्भवती महिलाओं के लिए विस्तृत रूप से उनके अधिकारों की व्याख्या की गई है.
हमारे समाज में महिलाएं शुरु से ही भेदभाव की शिकार होती रही है. घर हो या ऑफिस हर जगह उन्हें इनका समना करना पड़ा. इन हालातों में सुधार लाने के लिए कई तरह के कानून बनाए गए. जो कानून पहले से बने थे उनमें संशोधन किया गया. इसके बाद भी हालात ज्यों के त्यों बने रहें जिसके पीछा का कारण था जानकारी का अभाव. कानून ने महिलाओं को कई अधिकार दे रखे हैं.
याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा कि ब्रिटेन, चीन,वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया किसी न किसी रूप में पहले से मासिक धर्म अवकाश उपलब्ध करा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने Menstrual pain leave के लिए नियम बनाने का निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत दायरे में आता है.
अदालत ने कहा कि Maternity Benefit Act कानून के अनुसार maternity leave का अधिकार बच्चे के जन्म के बाद तक भी बढाया जा सकता है ताकि बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल के लिए भी छुट्टी दी जा सके.
हमारे समाज में महिलाएं शुरु से ही भेदभाव की शिकार होती रही है. घर हो या ऑफिस हर जगह उन्हें इनका समना करना पड़ा. इन हालातों में सुधार लाने के लिए कई तरह के कानून बनाए गए. जो कानून पहले से बने थे उनमें संशोधन किया गया. इसके बाद भी हालात ज्यों के त्यों बने रहें जिसके पीछा का कारण था जानकारी का अभाव. कानून ने महिलाओं को कई अधिकार दे रखे हैं.
याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा कि ब्रिटेन, चीन,वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया किसी न किसी रूप में पहले से मासिक धर्म अवकाश उपलब्ध करा रहे हैं.