जहां जमानत दी जानी चाहिए और वहाँ नहीं दी जाए, तो यह 'बौद्धिक बेईमानी': Supreme Court
High Court जज के लिए विचाराधिन उत्तरप्रदेश के एक न्यायिक अधिकारी के मामले में Supreme Court ने तत्काल सुनवाई से इंकार किया है.
High Court जज के लिए विचाराधिन उत्तरप्रदेश के एक न्यायिक अधिकारी के मामले में Supreme Court ने तत्काल सुनवाई से इंकार किया है.
Bombay Lawyers Association की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में देश की न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम के खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए दोनो के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शादी का जारी रहना असंभव होने की स्थिति (irretrievable breakdown of marriage) में सुप्रीम कोर्ट सीधे अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकता है.
सुप्रीम कोर्ट सतेंद्र कुमार अंतिल के मामले में पूर्व में दिए अपने जुलाई 2022 के फैसले की पालना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा था.पीठ ने कहा कि इस तरह के आदेश उत्तरप्रदेश की अदालतों द्वारा सबसे अधिक बार पारित किए गए है.
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य पीठ ने आज इस मामले पर फैसला सुनाते हुए इसे वृहद पीठ को भेजने का फैसला सुनाया. पीठ को यह फैसला करना था कि क्या दाऊदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा संविधान के तहत 'संरक्षित' है या नहीं.
केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा भेजी गयी सिफारियों पर कार्य किया जा रहा है. और कॉलेजियम द्वारा भेजी गयी 44 सिफारिशों के मामले में सप्ताहांत तक स्थिति साफ हो जाएगी.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा रहे है लेकिन हम कार्रवाई पर रोक नहीं लगा रहे है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर किसी तरह का निर्माण या विकास करने पर भी रोक लगा दी है.
जस्टिस संजय किशन कौल सुप्रीम कोर्ट की उस 9 सदस्य पीठ का भी हिस्सा थे जिसने भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2017 को फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था.
जस्टिस निखिल कारियल के तबादले की सिफारिश के विरोध में GHCAA के 7 सदस्य प्रतिनिधीमण्डल ने सीजेआई से फैसले पर पुर्नविचार की मांग की हैं.वही सीजेआई ने सभी अधिवक्ताओं को काम पर लौटने का आहवान किया है
High Court जज के लिए विचाराधिन उत्तरप्रदेश के एक न्यायिक अधिकारी के मामले में Supreme Court ने तत्काल सुनवाई से इंकार किया है.
Bombay Lawyers Association की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में देश की न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम के खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए दोनो के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शादी का जारी रहना असंभव होने की स्थिति (irretrievable breakdown of marriage) में सुप्रीम कोर्ट सीधे अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकता है.
सुप्रीम कोर्ट सतेंद्र कुमार अंतिल के मामले में पूर्व में दिए अपने जुलाई 2022 के फैसले की पालना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा था.पीठ ने कहा कि इस तरह के आदेश उत्तरप्रदेश की अदालतों द्वारा सबसे अधिक बार पारित किए गए है.
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य पीठ ने आज इस मामले पर फैसला सुनाते हुए इसे वृहद पीठ को भेजने का फैसला सुनाया. पीठ को यह फैसला करना था कि क्या दाऊदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा संविधान के तहत 'संरक्षित' है या नहीं.
केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा भेजी गयी सिफारियों पर कार्य किया जा रहा है. और कॉलेजियम द्वारा भेजी गयी 44 सिफारिशों के मामले में सप्ताहांत तक स्थिति साफ हो जाएगी.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा रहे है लेकिन हम कार्रवाई पर रोक नहीं लगा रहे है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर किसी तरह का निर्माण या विकास करने पर भी रोक लगा दी है.
जस्टिस संजय किशन कौल सुप्रीम कोर्ट की उस 9 सदस्य पीठ का भी हिस्सा थे जिसने भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2017 को फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था.
जस्टिस निखिल कारियल के तबादले की सिफारिश के विरोध में GHCAA के 7 सदस्य प्रतिनिधीमण्डल ने सीजेआई से फैसले पर पुर्नविचार की मांग की हैं.वही सीजेआई ने सभी अधिवक्ताओं को काम पर लौटने का आहवान किया है