बच्चे और मानसिक रोगी भी दे सकते हैं कोर्ट में गवाही
भारतीय न्यायालयों ने समय-समय पर न्यायिक कार्यवाही में गवाहों के महत्व को स्वीकार किया है. गवाहों के बयान पर ही कई बार अहम फैसले लिए गए है.
भारतीय न्यायालयों ने समय-समय पर न्यायिक कार्यवाही में गवाहों के महत्व को स्वीकार किया है. गवाहों के बयान पर ही कई बार अहम फैसले लिए गए है.
एक दिमागी रूप से बीमार व्यक्ति भी गवाही देने के लिए सक्षम है यदि वह उससे पूछे गए प्रश्नों को समझ सकता है और तर्कसंगत उत्तर दे सकता है. वहीं, कुछ परिस्थितियां ऐसी भी होती हैं, जिसमें कोई व्यक्ति गवाही देने के लिए सक्षम तो होता है, लेकिन उसे गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
मुकदमे के दौरान, जब प्रॉसिक्यूशन काउंसिल किसी व्यक्ति को अपने पक्ष में गवाही देने के लिए बुलाती है और वह व्यक्ति बुलाए जाने पर जांच के दौरान एकत्र किए गए अपने बयान की पुष्टि नहीं करता है या पक्ष विपरीत बयान देता है तब उसे पक्षद्रोही गवाह कहा जाता है