30 बच्चों की हत्या करने वाले सीरियल किलर को उम्रकैद
दिल्ली की रोहिणी अदालत ने गुरुवार को एक सीरियल किलर रवींद्र कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
दिल्ली की रोहिणी अदालत ने गुरुवार को एक सीरियल किलर रवींद्र कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
6 से 12 साल की उम्र के बच्चों को निशाना बनाकर कुमार ने कथित तौर पर 2008 और 2015 के बीच 30 से अधिक नाबालिग बच्चों की हत्या की थी.
अपहरण में इस्तेमाल की गई कार के चालक को पुलिस ने दिल्ली में पकड़ा था और उसकी निशानदेही पर गौरव को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ा लिया गया था.
वर्ष 2013 में अपराधिक Criminal Law में किए गए संशोधन के बाद सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दुष्कर्म की धारा 376(2)(g) में किसी को सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है. अदालत ने दोनो दोषियों को इस धारा के तहत 10 साल जेल की सजा के साथ 5000 का जुर्माना लगाया है.
Supreme Court ने बिहार सरकार को 2 सप्ताह में याचिका का जवाब पेश करने के साथ ही आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े रिकॉर्ड को पेश करने को कहा है.
डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी पाये गए आनंद मोहन सिंह को 27 अप्रैल को बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था
दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि बिहार सरकार के इस फ़ैसले से समाज में ग़लत सन्देश जाएगा और अपराधियों को प्रोत्साहन मिलेगा.याचिका में बिहार सरकार के आदेश और संशोधन को रद्द करते हुए आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गयी है.
उम्र कैद को लेकर कई सारे कन्फ्यूजन हैं, जैसे ये कितने साल की होती है ? क्या ये सिर्फ 14 साल की होती है ? क्या जेल में 12 घंटे को एक दिन गिना जाता है. ऐसे में चलिए इन सवालों के जवाब जान लेते है.
1 दिसंबर 2015 को ग्राम पंचायत फिरोजपुर तरहर के भरहापारा मतदान केन्द्र पर मत पत्रों की हेराफेरी को लेकर विवाद हुआ था.
कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .
तीनों सेना के किसी भी अफसर या इससे जुड़े जितने भी लोग हैं उनको बहकाना इस धारा में अपराध में दोषी माना जाएगा. यह अपराध गैर-जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से नही मिल सकेगी.
दहेज हत्या का अपराध एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए आसानी से जमानत नहीं दी जा सकती.IPC की धारा 304 (बी) के लिए दोषी व्यक्ति को कम से कम 7 साल से लेकर आजीवन उम्रकैद की सजा तक सुनाई जा सकती हैं.
वर्ष 2013 में अपराधिक Criminal Law में किए गए संशोधन के बाद सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दुष्कर्म की धारा 376(2)(g) में किसी को सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है. अदालत ने दोनो दोषियों को इस धारा के तहत 10 साल जेल की सजा के साथ 5000 का जुर्माना लगाया है.
Supreme Court ने बिहार सरकार को 2 सप्ताह में याचिका का जवाब पेश करने के साथ ही आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े रिकॉर्ड को पेश करने को कहा है.
दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि बिहार सरकार के इस फ़ैसले से समाज में ग़लत सन्देश जाएगा और अपराधियों को प्रोत्साहन मिलेगा.याचिका में बिहार सरकार के आदेश और संशोधन को रद्द करते हुए आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गयी है.
1 दिसंबर 2015 को ग्राम पंचायत फिरोजपुर तरहर के भरहापारा मतदान केन्द्र पर मत पत्रों की हेराफेरी को लेकर विवाद हुआ था.
कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .
तीनों सेना के किसी भी अफसर या इससे जुड़े जितने भी लोग हैं उनको बहकाना इस धारा में अपराध में दोषी माना जाएगा. यह अपराध गैर-जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से नही मिल सकेगी.
दहेज हत्या का अपराध एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए आसानी से जमानत नहीं दी जा सकती.IPC की धारा 304 (बी) के लिए दोषी व्यक्ति को कम से कम 7 साल से लेकर आजीवन उम्रकैद की सजा तक सुनाई जा सकती हैं.