क्या है BNSS की धारा 170? जिसके तहत सेना की गतिविधि सोशल मीडिया पर डालने पर 'शख्स' हुआ गिरफ्तार
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस कई हथकंडे अपनाती है, ताकि वो किसी भी तरह पकड़े जाएं और मामले की तहकीकात की जाए.
अपराध कोई भी हो वह समाज पर गलत प्रभाव ही डालता है. परन्तु कुछ अपराधों की केवल कल्पना, हमें भयभीत कर देती है. वैसा ही एक अपराध है Acid Attack. आइए जानते हैं क्या है IPC के तहत एसिड हमलों के खिलाफ दंड के प्रावधान.
किसी और की संपत्ति को अपना बताना गलत है और हमारे कानून ने तो इसे अपराध बताया है,लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई किसी मृत व्यक्ति के गहने को गलत मंशा के साथ अपना बताता है तो क्या उसे अपराध माना जाएगा.
सोशल मीडिया पर लोग अपने मन की बात सबके सामने जाहिर करते हैं. लेकिन कुछ लोग ये भूल जाते हैं कि उन्हे क्या लिखना है और क्या नहीं और यही उन्हें भारी पड़ जाता है .
किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए परन्तु पुलिस का काम अपराध होने से पहले उसे रोकना भी है इसलिए कुछ खास परिस्थितियों में पुलिस के पास गिरफ्तारी के कुछ विशेषाधिकार हैं.
जब भी किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए जिसके बारे में कानून में बताया गया है. गिरफ्तारी से संबंधित बहुत से अधिकार पुलिस को दी गई है.
कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .
मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन, जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.
सीआरपीसी के अनुसार अपराध को दो भागों में बांटा गया हैं. संज्ञेय अपराध प्रकृति में गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं. इस तरह के अपराध के मामलों में पीड़ित की और से सरकार द्वारा मुकदमा लड़ा जाता है.
हालांकि ये अपराध एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इस अपराध को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है और जमानत भी दी जा सकती है.
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस कई हथकंडे अपनाती है, ताकि वो किसी भी तरह पकड़े जाएं और मामले की तहकीकात की जाए.
अपराध कोई भी हो वह समाज पर गलत प्रभाव ही डालता है. परन्तु कुछ अपराधों की केवल कल्पना, हमें भयभीत कर देती है. वैसा ही एक अपराध है Acid Attack. आइए जानते हैं क्या है IPC के तहत एसिड हमलों के खिलाफ दंड के प्रावधान.
किसी और की संपत्ति को अपना बताना गलत है और हमारे कानून ने तो इसे अपराध बताया है,लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई किसी मृत व्यक्ति के गहने को गलत मंशा के साथ अपना बताता है तो क्या उसे अपराध माना जाएगा.
सोशल मीडिया पर लोग अपने मन की बात सबके सामने जाहिर करते हैं. लेकिन कुछ लोग ये भूल जाते हैं कि उन्हे क्या लिखना है और क्या नहीं और यही उन्हें भारी पड़ जाता है .
जब भी किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए जिसके बारे में कानून में बताया गया है. गिरफ्तारी से संबंधित बहुत से अधिकार पुलिस को दी गई है.
कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .
मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन, जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.
सीआरपीसी के अनुसार अपराध को दो भागों में बांटा गया हैं. संज्ञेय अपराध प्रकृति में गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं. इस तरह के अपराध के मामलों में पीड़ित की और से सरकार द्वारा मुकदमा लड़ा जाता है.
हालांकि ये अपराध एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इस अपराध को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है और जमानत भी दी जा सकती है.