बिहार पुल हादसे पर अब सरकार को देना होगा जवाब!
1,710 करोड़ रुपये में बन रहा पुल बिहार में ढह गया। इसपर अब पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है
1,710 करोड़ रुपये में बन रहा पुल बिहार में ढह गया। इसपर अब पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है
बिहार के भागलपुर में ढह गए 1,710 करोड़ रुपये के पुल पर पटना हाईकोर्ट से स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। जानिए अदालत में फाइल हुई जनहित याचिका में क्या कहा गया है
हाल ही में हुए एक बड़े साइबर क्राइम के मामले में अपराधी को यमुनानगर जिला कोर्ट को पेश किया गया जहां उसे पुलिस रिमांड में भेजने का आदेश दिया गया।
4.45 लाख रुपये का फ्रॉड करने वाले साइबर क्रिमिनल्स में से आरोपी की अदालत में पेशी हुई। जानें क्या था पूरा मामला
Supreme Court ने बिहार सरकार को इस बात की छूट दी है कि अगर 3 जुलाई को हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई नही करता है तो वह 14 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा.
Supreme Court में दायर की गयी याचिका के जरिए बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना पर लगी रोक के मामले में जल्द सुनवाई की अपील की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में कहा गया कि High Court ने अंतरिम स्तर पर मामले की योग्यता की गलत जांच की और राज्य की विधायी क्षमता में हस्तक्षेप किया है.
NGT ने तरल कचरे के waste management में अंतर और विफलता के लिए सरका परर लगभग 4,000 करोड़ रुपये का जुर्माना तय किया है. वही ठोस कचरे के संबंध में अधूरे डाटा की वजह से फिलहाल फिलहाल कोई मुआवजा नहीं लगाया है.
जाति आधारित गणना का 80% से ज्यादा काम पूरा हो चुका है और 500 करोड़ रुपये भी जारी किए जा चुके हैं
हाईकोर्ट ने इस मामले में जल्दी सुनवाई के लिए राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया. याचिका खारिज होने के बाद अब इस मामले पर हाईकोर्ट में 3 जुलाई 2023 को ही सुनवाई होगी. साथ ही राज्य में अभी जाति आधारित गणना पर लगी रोक भी बरकरार रहेगी.
Supreme Court ने बिहार सरकार को 2 सप्ताह में याचिका का जवाब पेश करने के साथ ही आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े रिकॉर्ड को पेश करने को कहा है.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि आप एक शांत प्रदेश में इस तरह से आग नही लगा सकते.
पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने वाली याचिका पर आज सुनवाई हुई
Patna High Court ने आदेश में मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई तय करते हुए बिहार सरकार को निर्देश दिए है कि तब तक कोई डाटा सामने नहीं आएगा.
डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी पाये गए आनंद मोहन सिंह को 27 अप्रैल को बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था
दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि बिहार सरकार के इस फ़ैसले से समाज में ग़लत सन्देश जाएगा और अपराधियों को प्रोत्साहन मिलेगा.याचिका में बिहार सरकार के आदेश और संशोधन को रद्द करते हुए आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गयी है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है जहां पटना हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है.
बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन को गुरुवार सुबह जेल से रिहा कर दिया गया. किन नियमों के तहत हुई रिहाई, जाने पूरा मामला.
बिहार सरकार के जेल मैन्यूअल के अनुसार अगर किसी सरकारी लोकसेवक की ड्यूटी के दौरान हत्या की जाती है तो हत्या करने वाले दोषी को आजीवन उम्रकैद के लिए जेल में रहना होता था.
दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि बिहार सरकार के इस फ़ैसले से समाज में ग़लत सन्देश जाएगा और अपराधियों को प्रोत्साहन मिलेगा.याचिका में बिहार सरकार के आदेश और संशोधन को रद्द करते हुए आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गयी है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है जहां पटना हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है.
बिहार सरकार के जेल मैन्यूअल के अनुसार अगर किसी सरकारी लोकसेवक की ड्यूटी के दौरान हत्या की जाती है तो हत्या करने वाले दोषी को आजीवन उम्रकैद के लिए जेल में रहना होता था.