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बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका पर SC ने सुनवाई से किया इंकार

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है जहां पटना हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है.

Bihar Caste Survey Case

Written by My Lord Team |Published : April 29, 2023 12:45 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया. समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता को पटना हाई कोर्ट का रुख करने की अनुमति दी और याचिका पर जल्द फैसला करने का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता याचिका को स्थानांतरित करने की अनुमति चाहता है जिस पर हाई कोर्ट द्वारा विचार किया जा सकता है. हम याचिकाकर्ता को एक उपयुक्त अंतरिम अर्जी दायर करने की अनुमति देते हैं और हाई कोर्ट कम से कम अंतरिम अर्जी पर जल्द से जल्द विचार करे और इसे दायर करने के तीन दिन के भीतर इस पर निर्णय करे.’’ शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कुछ भी टिप्पणी नहीं की है.

समाचार एजेंसी भाषा के की माने तो, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है जहां पटना हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है. रोहतगी ने कहा कि आने वाले चुनावों को देखते हुए सर्वेक्षण तेजी से किया जा रहा है. बिहार में जाति सर्वेक्षण का पहला दौर 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था. दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई तक होगा.

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नौकरशाही, राजनीति, सेवा, हर क्षेत्र में जातिवाद

पीठ ने कहा, ‘‘नौकरशाही, राजनीति, सेवा, हर क्षेत्र में काफी जातिवाद है. आप इतनी जल्दबाजी में ऐसा क्यों कर रहे हैं? इसकी क्या जरूरत है?’’ बिहार सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह कवायद राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुसार की जा रही है.

शीर्ष अदालत हाई कोर्ट के 18 अप्रैल के अंतरिम आदेश के खिलाफ ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में जाति-आधारित सर्वेक्षण को इस आधार पर चुनौती दी गई कि यह जनसंख्या के लिए एक नमूना के आधार पर सर्वेक्षण नहीं बल्कि जनगणना है, जिसमें सभी लोगों की घर-घर जाकर गणना करने की कवायद शामिल है, जिसे केवल केंद्र ही करा सकता है.

याचिका में कहा गया, ‘‘जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 और जनगणना नियम, 1990 के नियम 6ए के अनुसार, केंद्र ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण या जनगणना के लिए ऐसी कोई घोषणा नहीं की है.’’

शीर्ष अदालत ने 20 जनवरी को बिहार में जाति सर्वेक्षण कराने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया था. न्यायालय ने कहा था कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाई कोर्काट रुख करने की स्वतंत्रता प्रदान की थी.