Bombay HC ने कहा बिना किसी यौन मंशा से प्यार जताने के लिए लड़की का हाथ पकड़ना यौन उत्पीड़न नहीं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऑटो रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति को जमानत दे दी. उसपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऑटो रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति को जमानत दे दी. उसपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था.
अक्सर पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करके ले जाती है और वो व्यक्ति शाम तक जमानत देकर छूट गया है. हमारे देश के कानून के अनुसार अगर कोई बड़ा अपराध ना हो तो वो व्यक्ति कुछ शर्तों के साथ जमानत पर छूट सकता है.
जब किसी व्यक्ति को जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है, तो उस व्यक्ति को जमानत के लिए केवल एक महत्वपूर्ण काम करना है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि POCSO मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जब भी पीड़िता अदालत में पेश होती है, उस समय उसके साथ सहयोगी व्यक्ति को साथ रहने देना चाहिए ताकि उससे उसे मनोवैज्ञानिक सहायता मिल सके.
सुप्रीम कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण फैसला उनके समक्ष आए इस मुद्दे पर बहस के बाद दिया है कि क्या 90 दिनों के भीतर CRPC के तहत चार्जशीट दाखिल नहीं करने पर दी गई जमानत को, चार्जशीट पेश करने के आधार पर रद्द किया जा सकता है.
किसी भी व्यक्ति को किसी भी अपराध के लिए दोषी साबित होने तक उसके निर्दोष होने की अवधारणा को जमानत के माध्यम से उजागर किया जाता है, जो भारतीय कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए अंतरिम जमानत तब दी जाती है जब अदालत निश्चित है कि ऐसा करने से आरोपी को अनुचित रूप से कैद या हिरासत में लेने से रोका जा सकेगा.
अपराध की प्रकृति के अनुसार यदि पुलिस यथास्थिति 90 दिन या 60 दिन की निर्धारित समय सीमा के भीतर न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र/चार्जशीट दाखिल करने में असफल रहती है तो आरोपी द्वारा जमानत साधिकार मांगी जा सकती है.
धारा 438(1) के अनुसार, आरोपी द्वारा अग्रिम जमानत के लिए अर्जी केवल उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय के समक्ष ही दायर की जा सकती है. न्यायालय अग्रिम जमानत देते समय विभिन्न तरह की शर्तें लगाई जा सकती हैं. इस जमानत का मतलब यह होता है कि यदि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करती है और आरोपी न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन करता है तो पुलिस को उसे रिहा करना ही होगा.
भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 सभी व्यक्तियों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है। इसी मौलिक अधिकार के तहत प्रत्येक व्यक्ति को गिरफ्तार होने पर जमानत मांगने का अधिकार मिला है.
जमानती और गैर-जमानती अपराधों में मूल अंतर यही है कि जमानती अपराध में जमानत, आरोपी का अधिकार है और गैर-जमानती अपराध में जमानत अदालत के निर्णय पर निर्भर करती है.
गोधरा में ट्रेन जलाने के मामले में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था. ट्रायल कोर्ट ने फरवरी 2011 में फैसला सुनाते हुए 31 को लोगो को दोषी ठहराते हुए 63 को बरी कर दिया था. 31 दोषियों में से से 11 को मौत की सजा दी गई जबकि बाकी 20 को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. फारूक को इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी
ईडी ने 200 करोड़ की इस मनी लॉन्ड्रिग के मामले में जैकलीन को भी बराबर का गुनाहगार माना है ईडी के अनुसार जैकलीन को पुरी जानकारी होने के बावजूद उसने करीब 10 करोड़ के महंगे गिफ्ट हासील किए है.
सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई की नई व्यवस्था पर निर्णय लिया गया हैं. सुप्रीम कोर्ट की प्रत्येक पीठ प्रतिदिन 10 ट्रांसफर और 10 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.