Law And Rules: भारतीय न्याय संहिता 2023 का पांचवा अध्याय यौन संबंध के मामले से जुड़े अपराधों की व्यापक तौर पर चर्चा करती है, जिसमें पीड़ित को नुकसान पहुंचाने से लेकर किसी की पत्नी होने के नाते महिला के अधिकारों पर प्रकाश डालती है. भारतीय न्याय संहिता में संभोग या यौन संबंध (Sexual Intercourse) से जुड़े अपराधों की सजा की व्याख्या है. बीएनएस की धारा 67 में पीड़िता को नुकसान पहुंचाने, तो बीएनएस की धारा 68 किसी तरह की अथॉरिटी या पद के सहारे किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाने के कृत्यों को अपराध घोषित करती है, जिसमें कम-से-कम पांच साल जेल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 66 (पीड़िता की मृत्यु या निष्क्रिय अवस्था में चले जाने पर होनेवाली सजा), बीएनएस की धारा 67 (अलगाव के दौरान पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना पर), बीएनएस की धारा 68 (अपनी अथॉरिटी के सहारे किसी महिला को यौन संबंध बनाने के लिए प्रेरित करना) और बीएनएस की धारा 69 (शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने) की चर्चा करती है.
बीएनएस की धारा 66 कहती है कि कोई व्यक्ति बीएनएस की धारा 64 की उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन दंडनीय अपराध करेगा और ऐसा करते समय महिला को ऐसी चोट पहुंचाएगा जिससे उसकी मृत्यु हो जाए या महिला लगातार निष्क्रिय अवस्था (Vegetative State) में चली जाए, तो उस व्यक्ति को कम से कम बीस साल की कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे आजीवन कारावास (व्यक्ति के शेष जीवन) से लेकर मृत्युदंड तक बढ़ाया जा सकता है.
बीएनएस की धारा 67 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति, बिना सहमति के अलग रह रही पत्नी, चाहे ऐसा अलगाव के आदेश के तहत या किसी और अन्य कारण से हो, उसकी इजाजत के बिना यौन संबंध बनाता है, तो उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसमें दो साल से लेकर सात तक जेल की सजा का प्रावधान है, साथ में आर्थिक दंड (जुर्माना) लगाए जाने का भी प्रावधान है.
बीएनएस की धारा 68: जो कोई भी; अगर किसी महिला से नीचे दिए कारणों के चलते यौन संबंध बनाने को प्रेरित करता है,
a) किसी अधिकारिक पद पर या प्रत्ययी संबंध (Fiduciary Relationship) में; या
एक प्रत्ययी संबंध (Fiduciary Relationship) वह होता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर किसी प्रकार का भरोसा, विश्वास और निर्भरता रखता है. जिस व्यक्ति को भरोसा और विश्वास सौंपा जाता है, उसका प्रत्ययी कर्तव्य होता है कि वह दूसरे पक्ष के लाभ और हित के लिए कार्य करे.
b) पब्लिक सर्वेंट द्वारा; या
c) किसी महिला या बच्चों की संस्था या किसी अन्य संस्था, जेल, रिमांड होम के अधीक्षक (Superintendent) या प्रबंधक द्वारा; या
d) किसी अस्पताल के मैनेजमेंट सदस्य या स्टॉफ होने के नाते,
अपने पद का दुरूपयोग कर किसी महिला को उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए प्रेरित या बहकाता है, ऐसा यौन संबंध बलात्कार के अपराध की कोटि में नहीं आता है, उसे किसी भी प्रकार के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जो दस वर्ष तक हो सकती है, साथ में जुर्माना लगाया जाएगा.
बीएनएस में इन पदों की भी व्याख्या है, जिसमें यौन संबंध (Sexual Intercourse) का अर्थ बीएनएस की धारा 63 में क्लॉज a से लेकर d दिए गए प्रावधानों के अंतर्गत तय की जाएगी.
अधीक्षक (सुपरिटेंडेंट) का अर्थ किसी जेल, रिमांड होम या हिरासत के अन्य स्थान या महिलाओं या बच्चों के संस्थान के संबंध में, ऐसे व्यक्ति को शामिल किया जाता है जो ऐसी जेल, रिमांड होम, स्थान या संस्थान में कोई अन्य पद धारण करता है जिसके आधार पर ऐसा व्यक्ति अपने कैदियों पर कोई अधिकार या नियंत्रण रख सकता है.
जो कोई, किसी स्त्री से छलपूर्वक तरीके से (By Deceitful Means) या विवाह का वादा करके, उसे पूरा करने के इरादे के बिना, उसके साथ यौन संबंध बनाएगा, जो बलात्कार के अपराध की कोटि में नहीं आता, उसे किसी भी प्रकार के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकती है, से दंडित किया जाएगा और साथ में जुर्माना भी देना होगा.
यहां छलपूर्वक तरीके या धोखेबाजी के साधनों में प्रलोभन, या रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, या पहचान छिपाकर शादी करना, आदि शामिल होगा.
नोट: भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 में शादी, रोजगार, पदोन्नति का झूठा वादा करके या पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाना अपराध नहीं माना जाता था. वहीं, भारतीय न्याय संहिता (BNS, 2023) छल-प्रपंच, झांसे में रखकर या झूठा वादा या दिलासा देकर संबंध बनाने को अपराध मानती हैं.