नई दिल्ली: पत्रकार और आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति (S Gurumurthy) के खिलाफ दायर कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) के मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने गुरुवार को खत्म कर दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और फिलहाल उड़ीसा उच्च न्यायालय (Orissa High Court) के मुख्य न्यायाधीश, जूसीके एस मुरलीधर (Justice S Muralidhar) के खिलाफ एस गुरुमूर्ति ने ट्वीट किये थे जिसकी वजह से मामला दर्ज किया गया था।
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जैसा कि हमने आपको अभी बताया, कोर्ट की अवमानना के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एस गुरुमूर्ति को बरी कर दिया है और केस को खत्म कर दिया है। यह फैसला न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल (Justice Siddharth Mridul) और न्यायाधीश गौरांग कंठ (Justice Gaurang Kanth) की पीठ ने सुनाया है।
एस गुरुमूर्ति ने दाखिल किया था माफीनामा
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस गौरांग कंठ की पीठ ने एस गुरुमूर्ति को इसलिए बरी किया है क्योंकि उन्होंने एक लिखती माफीनामा दाखिल किया जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें इस बात पर गहरा पश्चाताप हुआ है और वो माफी मांगना चाहते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मामला एक कथित ट्वीट से जुड़ा है जो गुरुमूर्ति द्वारा किया गया था जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या जस्टिस मुरलीधर पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) के जूनियर रहे हैं? इस ट्वीट को जस्टिस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस किया था और उन्होंने स्पष्ट किया था कि उन्होंने कभी पी चिदंबरम के जूनियर के रूप में काम नहीं किया है।
इतना ही नहीं, अदालत ने यह भी कहा था कि एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल और बार इस बात का फैसला करेंगे कि इस तरह के ट्वीट्स के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं। इसी के चलते दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) ने 2018 में एस गुरुमूर्ति के खिलाफ आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt) का मामला दर्ज किया था।
पाँच साल बाद, एस गुरुमूर्ति की माफी के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले को खत्म कर दिया है।