आज राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने तहव्वुर राणा के चेहरे को ढ़ककर क़ड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया था. अठारह दिन की अवधि पूरे होने के बाद एनआईए ने राणा की कस्टडी 12 दिन बढ़ाने की मांग की. जांच एजेंसी ने मांग को लेकर कहा कि 26/11 के आरोपी के सामने कई डॉक्यूमेंट्स रखकर पूछताछ की है और 26/11 समेत दूसरे देश के दूसरे हिस्से में आतंकी हमलों की साजिश के बारे में तहकीकात के लिए राणा की अभी कस्टड़ी की ज़रूरत है.
विशेष एनआईए न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तहव्वुर राणा की हिरासत अवधि बढ़ा दी. सुनवाई में एनआईए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान ने पेशी में हिस्सा लिया, जबकि राणा का बचाव अधिवक्ता पीयूष सचदेव ने किया. एनआईए ने पूछताछ में राणा के सहयोगात्मक न होने और महत्वपूर्ण जानकारी निकालने के लिए और हिरासत की आवश्यकता पर जोर दिया.
दूसरी ओर, लीगल सर्विसेज के अधिवक्ता पीयूष सचदेव ने इस मामले में राणा का बचाव किया. उन्होंने राणा की रिमांड अवधि के विस्तार का विरोध करते हुए तर्क दिया कि अतिरिक्त हिरासत में पूछताछ अनुचित है. एनआईए के विशेष न्यायाधीश चरणजीत सिंह ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद, तहव्वुर राणा को आगे 12 दिनों की एनआईए हिरासत में भेजने के लिए सहमति दी.
अपने पिछले रिमांड आदेश में अदालत ने एनआईए को निर्देश दिया था कि वह राणा की हर 24 घंटे में चिकित्सा जांच कराए और उसे हर दूसरे दिन अपने वकील से मिलने की अनुमति दे. अदालत ने राणा को केवल सॉफ्ट-टिप पेन का उपयोग करने तथा एनआईए अधिकारियों की उपस्थिति में अपने वकील से मिलने की अनुमति दी, जो सुनने योग्य दूरी से बाहर होंगे. पिछली बार बहस के दौरान एनआईए ने कहा था कि साजिश के पूरे पहलू को उजागर करने के लिए राणा की हिरासत की आवश्यकता है. अदालत ने कहा था कि 17 साल पहले हुई घटनाओं का पता लगाने के लिए उसे विभिन्न स्थानों पर ले जाना आवश्यक है.
26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने अरब सागर में समुद्री मार्ग से भारत की वित्तीय राजधानी में घुसपैठ करने के बाद एक रेलवे स्टेशन, दो लक्जरी होटलों और एक यहूदी केंद्र पर समन्वित हमले किए थे. लगभग 60 घंटे तक चले इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे. बता दें कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के करीबी सहयोगी राणा के भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर उसकी पुनरीक्षण याचिका चार अप्रैल को खारिज करने के बाद उसे भारत लाया गया था.