नोएडा के एक नामी स्कूल के जूनियर विंग में बच्ची के साथ हुए डिजिटल रेप मामले में पुलिस ने क्लास टीचर और सुरक्षा पर्यवेक्षक को गुरुवार शाम गिरफ्तार किया था. शुक्रवार को उन्हें जिला अदालत से बेल मिल गई. अब नाराज अभिभावक शनिवार सुबह स्कूल के गेट पर बड़ी संख्या में इकट्ठा हो रहे हैं (Parents Gather at Noida School Demanding Answers After Digital Rape Incident). फिक्रमंद अभिभावक सवाल कर रहे हैं कि उनके बच्चे की सुरक्षा जिन हाथों में है वह ऐसी घटना क्यों छुपा रहे हैं? नोएडा के सेक्टर 27 में इस नामी स्कूल में साढ़े 3 वर्षीय बच्ची के साथ डिजिटल रेप का मामला सामने आया था. इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी समेत दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था.
मुख्य आरोपी समेत बच्ची की क्लास टीचर और सिक्योरिटी इंचार्ज को पुलिस ने गिरफ्तार किया. क्लास टीचर और सिक्योरिटी इंचार्ज पर आरोप था कि उन्हें पूरी घटना की जानकारी थी और उन्होंने बच्ची को डराया था कि वह अपने परिजनों से कुछ भी ना बताएं. इस मामले में पुलिस ने जब स्कूल से सीसीटीवी दिखाने की मांग की थी तब स्कूल प्रशासन ने आनाकानी करते हुए सीसीटीवी फुटेज देने में देर लगाई थी. खुलासे के बाद स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों को अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता सताने लगी है और वह यह भी आरोप लगा रहे हैं कि अगर स्कूल के टीचर और स्टाफ ऐसी हरकत छुपा रहे हैं तो उनके बच्चों की सुरक्षा का क्या होगा. यही वजह है कि बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल के गेट पर जमा होना शुरू हो गए हैं.
डिजिटल रेप एक नीच कर्म है. परिभाषा के अनुसार, किसी बच्ची के वजाइना में उंगलियों का प्रवेश करना 'डिजिटल रेप' कहलाता है (Digital rape, is inserting his finger into her vagina). अंग्रेजी डिक्शनरी के अनुसार डिजिट टर्म का यूज उंगली है. सबसे पहले डिजिटल रेप में डिजिटल का अर्थ ऊंगलियों से, वह ऊंगलियां हाथ या पैर किसी की भी हो सकती है.
इस अपराध को आईपीसी की धारा 375 के तहत दर्ज किया जाता रहा है, जो महिलाओं की इच्छा के बिना यौन क्रिया करने के प्रयास को अपराध बनाता है. वहीं बीएनएस, 2023 की धारा 63 में इसका जिक्र है. दोषी पाए जाने पर आरोपी को दस साल जेल की सजा से लेकर आजीवन कारावास के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.