आज सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट, 1991 को चुनौती देने और उसे बरकरार रखने की मांग से जुड़ी छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की विशेष बेंच के समक्ष रखा गया है. इन 6 याचिकाओं में याचिकाकर्ता विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ, डॉक्टर सुब्रह्मण्यम स्वामी, अश्विनी उपाध्याय , करूणेश शुक्ला, अनिल त्रिपाठ ने इस एक्ट को चुनौती दी है. वही जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका इस एक्ट को बरकरार रखने की मांग की है. राजद नेता व राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर की है.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना , जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की स्पेशल बेंच साढ़े तीन बजे सुनवाई करेगी. 1991 में बना यह कानून कहता है कि देश में धार्मिक स्थलों में वही स्थिति बनाई रखी जाए, जो आजादी के दिन15 अगस्त 1947 को थी. उसमे बदलाव नहीं किया जा सकता.
2021 में इस एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट केन्द्र को नोटिस जारी कर चुका है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने अपना रुख साफ नहीं किया है.
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदाय को अपने उन पवित्र स्थलों पर दावा करने से रोकता है, जिनकी जगह पर जबरन मस्ज़िद, दरगाह या चर्च बना दिए गए थे. न्याय पाने के लिए कोर्ट आने के अधिकार से वंचित करता मौलिक अधिकार का हनन है.
वही, जमीयत उलेमा ने इस कानून के समर्थन में याचिका दाखिल की है. जमीयत का कहना है कि इस एक्ट को प्रभावी तौर पर अमल में लाया जाना चाहिए. संभल में हुए विवाद के बाद जमीयत ने कोर्ट से इस मसले जल्द सुनवाई की मांग की थी ताकि देश के विभिन्न हिस्सों ने धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवाद पर विराम लग सके.