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Delhi HC ने अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने से जुड़ी याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे को “धार्मिक समिति” द्वारा संभाला जाता है।

Delhi High Court

Written by My Lord Team |Published : August 8, 2023 11:14 AM IST

नयी दिल्ली: सार्वजनिक स्थानों से अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने सोमवार को पांच व्यक्तियों की याचिका पर दोनों सरकारों के साथ-साथ दिल्ली पुलिस, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को नोटिस जारी किया और अधिकारियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे को “धार्मिक समिति” द्वारा संभाला जाता है। उन्होंने कहा कि समिति भूमि स्वामित्व एजेंसी के साथ-साथ सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक संरचनाओं की मौजूदगी से निपटती है और सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों के साथ समिति से संपर्क कर सकते हैं।

याचिकाकर्ता प्रीत सिंह, सुनील अंतिल, नीरज चौहान, राजेश और अशोक कुमार मित्तल ने अपनी याचिका में कहा है कि सार्वजनिक भूमि, सार्वजनिक पार्क और प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत और अवैध रूप से कई अवैध मस्जिद, मजार और दरगाह बनाई गई हैं जो उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन हैं।

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संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 25 के तहत जनता के अधिकारों का उल्लंघन किए जाने का दावा करते हुए याचिका में प्रार्थना की गई, “माननीय न्यायालय एक उचित रिट जारी करने की कृपा कर सकता है...प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि कोई भी धार्मिक ढांचा या मस्जिद, मजार, दरगाह, कब्र या किसी अन्य धार्मिक निर्माण के तौर पर किसी भी प्रकार का निर्माण, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, सार्वजनिक भूमि, पार्क, खेल के मैदान, सड़क, राजमार्ग या सार्वजनिक उपयोगिता के किसी अन्य स्थान पर न हो।”

वकील पार्थ यादव के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इस तरह के अवैध निर्माण सड़क दुर्घटनाओं में योगदान देते हैं और सांप्रदायिक वैमनस्य को जन्म दे सकते हैं।

जनहित याचिका में कहा गया, “स्थिति इतनी भयावह है कि इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियां सांप्रदायिक वैमनस्य को जन्म दे सकती हैं और जनता के साथ-साथ कानून व्यवस्था को भी प्रभावित कर रही हैं, लेकिन प्रतिवादी अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के पालन में लापरवाही बरत रहे हैं।” इस मामले में अगली सुनवाई नवंबर में होगी।