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रसूखदार कॉलोनियों में हुए 'अवैध निर्माण' को क्यों नहीं गिराया जा रहा? Supreme Court ने दिल्ली सरकार और DDA से पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसने प्रधानमंत्री अनधिकृत कॉलोनियों में दिल्ली आवास अधिकार योजना (पीएम-यूडीएवाई) का हवाला देते हुए श्री साई कुंज कॉलोनी (एक अमीर अवैध कॉलोनी) को गिराने से इनकार किया, जबकि उसे पता था कि यह योजना इस कॉलोनी पर लागू नहीं होती.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : May 3, 2025 1:05 PM IST

बीते दिन सुप्रीम कोर्ट अमिकस क्यूरि एमसी मेहता की दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस सुनवाई के दौरान अदालत ने अवैध निर्माण के खिलाफ हो रही कार्रवाईयों में एक ट्रेंड पाया. अदालत ने कहा, प्राधिकरण और अधिकारियों द्वारा गरीबों की सुरक्षा के लिए कुछ उदारतापूर्ण कदम समझ में आ सकते हैं, लेकिन अमीरों के अवैध ढांचों को नियमित करने का प्रयास किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी(DDA), एमसीडी, दिल्ली सरकार एवं केन्द्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय से हलफनामा के माध्यम से जबाव रखने के लिए दो महीने का समय दिया है.

अवैध निर्माण को नियमित करने की कोशिश

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की अगुवाई वाली बेंच ने रसूखदार कॉलोनियों में अवैध निर्माण को संरक्षण देने के ट्रेंड से नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा इन पर कार्रवाई नहीं करने से, इन्हें एक तरह रेगुलगाइज किया जा रहा है.

कोर्ट ने कहा,

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"गरीबों की मदद करना समझ में आता है, लेकिन धनी लोगों के अवैध निर्माणों को नियमित करने का प्रयास उचित नहीं है."

कोर्ट ने MCD से स्पष्टीकरण मांगा कि उसने श्री साई कुंज कॉलोनी, जो एक समृद्ध अवैध कॉलोनी है, को नष्ट न करने के लिए प्रधानमंत्री अवैध कॉलोनियों में दिल्ली आवास अधिकार योजना (PM-UDAY) का हवाला क्यों दिया, जबकि यह योजना उस कॉलोनी पर लागू नहीं होती.

अवैध कॉलोनिओं पर PM-UDAY योजना कैसे लागू होगी?

इससे पहले 25 मार्च 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने MCD से पूछा था कि कितनी अवैध संरचनाएं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) द्वितीय (संशोधन) अधिनियम, 2014 के तहत संरक्षित हैं. बता दें कि इस अधिनियम के तहत उन अवैध निर्माणों की सुरक्षा की गई है, जो 1 जून 2014 से पहले मौजूद थीं. जबाव में 24 अप्रैल को MCD ने एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा कि श्री साई कुंज कॉलोनी में 126 फ्लैट हैं, जिनमें से केवल 10 को 2014 के अधिनियम के तहत संरक्षित किया गया है. शेष 116 फ्लैट अवैध पाए गए, उनमें से केवल 28 को ही शो-कॉज नोटिस जारी किए गए हैं. MCD ने दावा किया कि शेष 88 फ्लैट्स के लिए नोटिस जारी करने की प्रक्रिया अभी चल रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि 2019 के नियमों में PM-UDAY योजना का कोई संदर्भ नहीं है. कोर्ट ने आगे कहा कि 2019 के नियमों का नियम 7 समृद्ध अवैध कॉलोनियों को विशेष रूप से बाहर करता है, और श्री साई कुंज को MCD के हलफनामे में ऐसी कॉलोनियों की सूची में 43वें स्थान पर रखा गया है. कोर्ट ने MCD को यह स्पष्ट करने कहा कि उसने योजना पर कैसे भरोसा किया, जबकि उसे यह पता था कि कॉलोनी समृद्ध कॉलोनी है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

"ये नियम श्री साई कुंज कॉलोनी पर लागू नहीं होते. MCD को कोर्ट को यह बताना होगा कि उसने इस तथाकथित PM Uday योजना का हवाला कैसे दिया."

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 343 और 344 के तहत सभी शेष 88 अवैध फ्लैट्स के लिए एक सप्ताह के भीतर डेमोलिशन नोटिस जारी किए जाएं,