नई दिल्ली: बिहार में राज्य द्वारा जाति आधारित गणना (Bihar Caste Survey) करवाया जा रहा था जिसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर हुईं और कुछ समय के लिए इस सर्वे पर रोक लगा दिया गया। बता दें कि हाल ही में पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने सरकार के फैसले को अपहोल्ड करते हुए जाति आधारित गणना पर रोक लगाने से मना कर दिया है।
पटना उच्च न्यायालय के इस फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) में याचिका दायर की गई है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
पटना उच्च न्यायालय का फैसला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि उन्हें राज्य का यह एक्शन बिल्कुल जायज और उचित योग्यता के साथ आरंभ किया गया लग रहा है; जो 'न्याय के साथ विकास' देने के उद्देश्य को पूरा करेगा।
यह बिल्कुल वैसा है जैसा कि दोनों सदनों के संबोधन और वास्तविक सर्वेक्षण में घोषित किया गया था कि विवरणों को प्रकट करने के लिए न तो कोई दबाव डाला गया और न ही उस पर विचार किया गया और आनुपातिकता की परीक्षा उत्तीर्ण की गई। इस प्रकार व्यक्ति की गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ, खासकर जब से यह 'सम्मोहक सार्वजनिक हित' में आगे बढ़ रहा हो, जो वास्तव में 'वैध राज्य हित' है।
कैसे किया जा रहा है बिहार में सर्वे
ये सर्वे दो चरणों में पूरा किया जाएगा; पहले चरण के तहत राज्य सरकार द्वारा इस साल जनवरी में एक 'हाउजहोल्ड काउंटिंग एक्सर्साइज' की गई। इस सर्वे का दूसरा चरण 15 अप्रैल, 2023 को शुरू हुआ था और इसमें ध्यान लोगों की जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर था।
यह पूरी प्रक्रिया मई, 2023 तक पूरी होनी थी लेकिन 4 मई को उच्च न्यायालय ने इसपर रोक लगा किया था। इस मामले को लेकर बिहार सरकर उच्चतम न्यायालय गई थी लेकिन उन्होंने रोक हटाने से इनकार कर दिया। आज पटना हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई थी जहां सरकार के हित में फैसला सुनाया गया।