Supreme Court Collegium: हाल ही में सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पटना हाई कोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए पांच वकीलों के नाम की सिफारिश की है. हालांकि, हाई कोर्ट में वकीलों को जज के तौर पर चयनित किए जाने में राज्य सरकार के परामर्श को भी ध्यान में रखा जाता है. आइये जानते हैं कि कौन वे पांच वकील, जिन्हें हाई कोर्ट जजशिप में शामिल करने की सिफारिश की गई है. साथ ही वकीलों को जजशिप में लाने की प्रक्रिया में राज्य की क्या भूमिका होती है...
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, जिसकी अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना कर रहे हैं, ने पटना उच्च न्यायालय में पांच अधिवक्ताओं को जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है. यह फैसला 20 फरवरी, 2025 के दिन हुई बैठक के बाद लिया गया है. कॉलेजियम ने जिन अधिवक्ताओं की नियुक्ति की सिफारिश की है, उनमें (i) श्री आलोक कुमार सिन्हा, (ii) श्री रितेश कुमार, (iii) श्रीमती सोनी श्रीवास्तव, (iv) श्री सौरेंद्र पांडे, और (v) श्री अंसुल @ अंशुल राज शामिल है. ये अधिवक्ता वकालती क्षेत्र में प्रतिष्ठित और अनुभवी माने जाते हैं.
बता दें कि वकीलों को जजशिप में एडिशनल जज के तौर पर शामिल किया जाता है. उसके बाद उनके परफाॉर्मेंस के आधार पर परमानेंट किया जाता है. एडिशनल जज से जज बनने में तकरीबन दो साल का समय होता है.
हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक ज्ञात प्रक्रिया है जिसे मेमोरेडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) कहा जाता है. इस प्रक्रिया के अनुसार, हाई कोर्ट के जज की नियुक्ति का प्रस्ताव हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रारंभ किया जाएगा. यदि राज्य का मुख्यमंत्री किसी व्यक्ति के नाम की सिफारिश करना चाहता है, तो उन्हें मुख्य न्यायाधीश को यह नाम विचार के लिए भेजना पड़ेगा. गवर्नर, जो मुख्यमंत्री द्वारा सलाहित होते हैं, उन्हें अपनी सिफारिश के साथ सभी दस्तावेज केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री को भेजने होते हैं. यह प्रक्रिया छह सप्ताह के भीतर पूरी होनी चाहिए, अन्यथा केंद्रीय मंत्री यह मानते हैं कि गवर्नर के पास सिफारिश के लिए कुछ नहीं है. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री सिफारिशों पर विचार करते समय अन्य रिपोर्टों को भी ध्यान में रखते हैं. इसके बाद, सभी डॉक्यूमेंट्स मुख्य न्यायाधीश के विचार करने के लिए भेजी जाती है.
अब सीजेआई की अगुवाई वाली कॉलेजियम इन नामों पर विचार कर अपनी राय वापस से केन्द्र सरकार को भेजती है. यह प्रक्रिया चार सप्ताह के भीतर पूरी की जाएगी. वहीं, इन नामों पर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद न्याय विभाग के मुख्य सचिव इस बात की जानकारी चीफ जस्टिस, राज्य के मुख्यमंत्री को देंगे. साथ ही इस मामले में नोटिफिकेशन जारी करेंगे.