Advertisement

Allahabad High Court ने 12 वर्ष की दुष्कर्म पीड़िता को 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की दी अनुमति

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक असाधारण परिस्थिति में एक दुष्कर्म पीड़िता को गर्भावस्था के 25 हफ्ते बीत जाने के बाद गर्भपात कराने की अनुमति दी है। अदालत ने इससे पूर्व कहा था कि यौन शोषण पीड़िता को बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

Allahabad HC

Written by Ananya Srivastava |Published : July 13, 2023 1:50 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने चिकित्सकीय बोर्ड की राय को ध्यान में रखते हुए 12 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति प्रदान की है।

न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी (Justice Mahesh Chand Tripathi) और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार (Justice Prashant Kumar) की पीठ ने दुष्कर्म पीड़िता की ओर से दायर एक याचिका पर बुधवार को यह आदेश पारित किया।

भारत में किन स्थितियों में Abortion लीगल है? जानें क्या कहता है कानून

Also Read

More News

12 साल की रेप विक्टिम को मिली गर्भपात की अनुमति

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, लड़की मूक-बधिर है और उसने अपने 25 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति का अनुरोध किया था। पीठ ने चिकित्सकीय रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा, ‘‘तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए और चिकित्सा रिपोर्ट को देखते हुए गर्भपात का आदेश देना उचित होगा।’’

इसके बाद, अदालत ने बुलंदशहर के जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता (नाबालिग लड़की) अपनी मां के साथ बृहस्पतिवार सुबह 10 बजे जवाहरलाल मेडिकल कालेज, अलीगढ़ (Jawaharlal Medical College, Aligarh) पहुंचे जहां मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य गर्भपात की प्रक्रिया निर्धारित करेंगे।

मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को अदालत का निर्देश

अदालत ने कहा, ‘‘हम मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश देते हैं कि गर्भपात की प्रक्रिया प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष की उपस्थिति में कराया जाए और प्रधानाचार्य पीड़ित लड़की को ऑपरेशन के उपरांत पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराएं और तीन दिन के भीतर एक रिपोर्ट पेश करें ताकि अदालत इस मामले में आगे की कार्यवाही कर सके।’’

'यौन शोषण पीड़िता के लिए बच्चे को जन्म देना अनिवार्य नहीं'

इससे पूर्व, मंगलवार को अदालत ने कहा था कि यौन शोषण पीड़िता को बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। पीड़िता के अधिवक्ता राघव अरोड़ा ने कहा, ‘‘बुधवार को लड़की की चिकित्सकीय रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी गई। हालांकि, जब लिफाफे को खोला गया तो रिपोर्ट नियमों के मुताबिक नहीं थी।

इसके बाद अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई एक घंटे के लिए टाल दी और प्रतिवादी अधिकारियों को एक घंटे के भीतर नियम के मुताबिक मेडिकल रिपोर्ट पेश करने को कहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाद में नए सिरे से चिकित्सकीय रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की गई जिसमें चिकित्सकों ने गर्भपात कराने की सलाह दी और कहा कि गर्भधारण से नाबालिग लड़की के शारीरिक औऱ मानसिक स्वास्थ्य को खतरा होगा।’’

अरोड़ा के मुताबिक, ‘‘लड़की के पड़ोसी ने अनेक बार उसका यौन शोषण किया, लेकिन बोलने और सुनने में असमर्थता की वजह से वह किसी को भी आपबीती नहीं सुना सकी।’’ उन्होंने बताया कि बच्ची की मां द्वारा पूछे जाने पर पीड़िता ने सांकेतिक भाषा में खुलासा किया कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया है।

इसके बाद, पीड़िता की मां ने आरोपी के खिलाफ प्राथमीकि दर्ज कराई। जब पीड़िता की 16 जून, 2023 को जांच की गई तो पता चला कि वह गर्भवती है।