Online Fraud के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस के अभियान से जुड़े अभिनेता राजकुमार राव
राजकुमार राव लोगों से ऑनलाइन खरीदारी की आड़ में हो रही धोखाधड़ी के प्रति सतर्क रहने की अपील की भी है।
राजकुमार राव लोगों से ऑनलाइन खरीदारी की आड़ में हो रही धोखाधड़ी के प्रति सतर्क रहने की अपील की भी है।
नोएडा का एक मामला है जिसमें एक कैदी की हिरासत में ही मौत हो गई। जहां पुलिस ने इसे सुसाइड का नाम दिया, अदालत को ऐसा लगता है कि इसमें पुलिस का ही हाथ था। आईपीसी की धारा 304 के तहत दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को गंभीर सजा सुनाई है
जस्टिस कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने उत्तरप्रदेश के डीजीपी को आदेश दिए है कि वह अंसारी को एक जेल से दूसरे जेल में स्थानांतरित करने और जेल से किसी भी अदालत में पेश करने के दौरान उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें.
Supreme Court में दायर की गई इस याचिका में इस हत्याकांड की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच की मांग की गई है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद हुए सभी 183 एनकाउंटरों की जांच की मांग भी की गई है.
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मामले को अन्य मामलों से अलग मानते हुए की एक ही मामले में दो अलग अलग जांच एजेंसियों की अलग अलग रिपोर्ट है. इसे सीबीआई को सुपूर्द करने के लिए एक बेहतर केस पाया.
राजकुमार राव लोगों से ऑनलाइन खरीदारी की आड़ में हो रही धोखाधड़ी के प्रति सतर्क रहने की अपील की भी है।
नोएडा का एक मामला है जिसमें एक कैदी की हिरासत में ही मौत हो गई। जहां पुलिस ने इसे सुसाइड का नाम दिया, अदालत को ऐसा लगता है कि इसमें पुलिस का ही हाथ था। आईपीसी की धारा 304 के तहत दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को गंभीर सजा सुनाई है
जस्टिस कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने उत्तरप्रदेश के डीजीपी को आदेश दिए है कि वह अंसारी को एक जेल से दूसरे जेल में स्थानांतरित करने और जेल से किसी भी अदालत में पेश करने के दौरान उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें.
Supreme Court में दायर की गई इस याचिका में इस हत्याकांड की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच की मांग की गई है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद हुए सभी 183 एनकाउंटरों की जांच की मांग भी की गई है.
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मामले को अन्य मामलों से अलग मानते हुए की एक ही मामले में दो अलग अलग जांच एजेंसियों की अलग अलग रिपोर्ट है. इसे सीबीआई को सुपूर्द करने के लिए एक बेहतर केस पाया.