21 नाबालिगों से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत को Gauhati High Court ने किया रद्द, कहा यह लापरवाही है
उच्च न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा कि विशेष अदालत ने खुद कहा था कि पीड़ितों के बयानों ये यह पता चलता है कि इस गंभीर अपराध को अंजाम दिया गया था
उच्च न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा कि विशेष अदालत ने खुद कहा था कि पीड़ितों के बयानों ये यह पता चलता है कि इस गंभीर अपराध को अंजाम दिया गया था
कर्नाटक उच्च न्यायालय में सत्र अदालत से एक विचित्र मामला आया जिसमें पत्नी ने अपने पति पर अपनी चार साल की नाबालिग बेटी के यौन शोषण का आरोप लगाया है। प्रारम्भिक जांच से असन्तुष्ट पत्नी ने सत्र अदालत के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया...
स्कूल में यदि बच्चों को ज्यादा होमवर्क दिया जा रहा है या फिर उन्हें क्लास में अध्यापक से प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है तो क्या यह सब पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा? कर्नाटक में पुलिस में एक ऐसा ही मामला दर्ज कराया गया है...
आरोपी को 2020 में बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था,
लगभग 2,700 सिविल मामले और 1,700 से अधिक सत्र मामले लंबित हैं. रिकॉर्ड से पता चला है कि इनमें से कुल 1,032 मामले POCSO से संबंधित हैं.
दुष्कर्म पीड़िता की जांच करने वाले चिकित्सा दल ने कहा था कि अगर गर्भपात की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, तो भी बच्चा जीवित पैदा हो सकता है
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 23 अप्रैल 2022 को चार्जशीट दाखिल की. केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 6 गवाह पेश किए. अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में सक्षम थी.
इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने बलात्कार के दोषी को 135 साल की सजा सुनाई है और सभी सजा एक साथ चलेंगी.
केवल अपराध करना ही नहीं बल्कि उसे छुपाने वाला भी अपराधी होता है जिसके बारे में पॉक्सो अधिनियम में बताया गया है.
POCSO(The Protection of Children from Sexual Offences) Act बच्चों के खिलाफ हो रहे यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा करता है और इसके मामलों में बच्चों को उचित नयाय दिलाने का प्रयास करता है. इसके तहत अपराधों को दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया उपल्बध कराई गई है.
POCSO Act के तहत अपराधों को दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया उपल्बध कराई गई है, जिससे बच्चों को ऐसे अपराधों के लिए शिकायत करने में मदद मिले और उन्हें उचित न्याय मिल सके. इस प्रक्रिया में बच्चे को सुरक्षित और उनकी पहचान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है.
पॉक्सो (POCSO) एक्ट का उद्देश्य बच्चों को सभी प्रकार के यौन शोषण से बचाना और पीड़ित बच्चों को उचित न्याय दिलाना है. इस कानून के तहत यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से बच्चों की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान हैं. यह अधिनियम यौन शोषण के पीड़ितों के लिए एक मजबूत न्याय तंत्र प्रदान करता है और बाल अधिकारों और सुरक्षा के महत्व पर जोर देता है.
उच्च न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा कि विशेष अदालत ने खुद कहा था कि पीड़ितों के बयानों ये यह पता चलता है कि इस गंभीर अपराध को अंजाम दिया गया था
कर्नाटक उच्च न्यायालय में सत्र अदालत से एक विचित्र मामला आया जिसमें पत्नी ने अपने पति पर अपनी चार साल की नाबालिग बेटी के यौन शोषण का आरोप लगाया है। प्रारम्भिक जांच से असन्तुष्ट पत्नी ने सत्र अदालत के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया...
स्कूल में यदि बच्चों को ज्यादा होमवर्क दिया जा रहा है या फिर उन्हें क्लास में अध्यापक से प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है तो क्या यह सब पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा? कर्नाटक में पुलिस में एक ऐसा ही मामला दर्ज कराया गया है...
लगभग 2,700 सिविल मामले और 1,700 से अधिक सत्र मामले लंबित हैं. रिकॉर्ड से पता चला है कि इनमें से कुल 1,032 मामले POCSO से संबंधित हैं.
दुष्कर्म पीड़िता की जांच करने वाले चिकित्सा दल ने कहा था कि अगर गर्भपात की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, तो भी बच्चा जीवित पैदा हो सकता है
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 23 अप्रैल 2022 को चार्जशीट दाखिल की. केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 6 गवाह पेश किए. अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में सक्षम थी.
इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने बलात्कार के दोषी को 135 साल की सजा सुनाई है और सभी सजा एक साथ चलेंगी.
केवल अपराध करना ही नहीं बल्कि उसे छुपाने वाला भी अपराधी होता है जिसके बारे में पॉक्सो अधिनियम में बताया गया है.
POCSO Act के तहत अपराधों को दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया उपल्बध कराई गई है, जिससे बच्चों को ऐसे अपराधों के लिए शिकायत करने में मदद मिले और उन्हें उचित न्याय मिल सके. इस प्रक्रिया में बच्चे को सुरक्षित और उनकी पहचान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है.
पॉक्सो (POCSO) एक्ट का उद्देश्य बच्चों को सभी प्रकार के यौन शोषण से बचाना और पीड़ित बच्चों को उचित न्याय दिलाना है. इस कानून के तहत यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से बच्चों की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान हैं. यह अधिनियम यौन शोषण के पीड़ितों के लिए एक मजबूत न्याय तंत्र प्रदान करता है और बाल अधिकारों और सुरक्षा के महत्व पर जोर देता है.