Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला रखा सुरक्षित
गुरूवार को सभी पक्षो की बहस सुनने के बाद संविधान पीठ की ओर से सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ फैसला सुरक्षित रखने की घोषणा की.
गुरूवार को सभी पक्षो की बहस सुनने के बाद संविधान पीठ की ओर से सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ फैसला सुरक्षित रखने की घोषणा की.
केंद्र सरकार की ओर से देशभर के राज्यों को लिखे गए पत्र के जवाब में देश के कई राज्यों ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता का विरोध किया है
समलैगिंग विवाह की कानूनी मान्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को वैवाहिक स्थिति के बावजूद बच्चे को गोद लेने की अनुमति देते हैं.
Same sex marriage को वैध किये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. आज सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का इस मामले में रुख कुछ नरम नज़र आया
समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर दायर करीब 20 याचिकाओं पर Supreme Court की 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है.सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने समिति को लेकर जानकारी दी है.
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शादी का जारी रहना असंभव होने की स्थिति (irretrievable breakdown of marriage) में सुप्रीम कोर्ट सीधे अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि जीवित रहते भरण-पोषण का बकाया मृत बेटी की संपत्ति थी और उसकी मृत्यु के बाद, कानूनी अभिभावक होने के नाते उसकी मां इस संपत्ति की हकदार है.
Supreme Court में आज कल Same Sex Marriage को वैध बनाने को लेकर सुनवाई चल रही है, ऐसे में आज हम आपको 10 ऐसे देशों के बारे में बताएंगें जहां समलैंगिक विवाह को सबसे पहले लीगल किया गया है.
केन्द्र सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया कि याचिकाएं "सामाजिक स्वीकृति के उद्देश्य के लिए केवल शहरी अभिजात्य विचारों" का प्रतिनिधित्व करती हैं और विधायिका को समाज के सभी वर्गों के व्यापक विचारों पर विचार करना होगा. केन्द्र सरकार के इसी दलील का सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जवाब दिया है.
हलफनामे में केन्द्र ने कहा है कि वर्तमान मामले में संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों के विधायी अधिकार और राज्यों के निवासियों के अधिकार शामिल हैं और इसलिए सभी राज्यों को भी इस सुनवाई में शामिल किया जाना चाहिए.
समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान सीजेआई और केन्द्र सरकार के एसजी तुषार मेहता के बीच दिलचस्प बहस भी देखने को मिली.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाएं दायर की गईं.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी. पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.
अपने तर्क के सहमत जमीयत ने याचिका में कहा है कि याचिकाकर्ता Same-sex marriage की अवधारणा पेश करके एक फ्री-फ्लोटिंग सिस्टम शुरू करने और विवाह जैसी स्थिर संस्था की अवधारणा को कमजोर करने की मांग कर रहे है.
याचिका में पुरुषों के बराबर महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करने की मांग की गई थी. भाजपा नेता और अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर ऐसी ही याचिका को सुप्रीम कोर्ट फरवरी माह में खारिज कर चुका है.
मुस्लिम धर्म में मेहर, मूल रूप से धन या अन्य संपत्ति है जिसे विवाह के बाद पति पत्नी को देता है, जिस पर पूरी तरह केवल पत्नी का हक होता है. मेहर का भुगतान न होने पर पत्नि के पास मेहर वसूल करने का कानूनी अधिकार है.
मुस्लिम महिलाओं को अपने पति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर धारणाधिकार का अधिकार है जब तक कि उसे मेहर की राशि का भुगतान नहीं किया जाता. यह अधिकार पत्नी द्वारा केवल तभी तक प्रयोग किया जा सकता है जब पति की मृत्यु हो गई हो और पत्नी को उसका मेहर नहीं मिला हो.