व्यापारी के बेटे के अपहरण के मामले में बुलंदशहर की अदालत ने दी आठ लोगों को उम्रकैद की सजा
अपहरण में इस्तेमाल की गई कार के चालक को पुलिस ने दिल्ली में पकड़ा था और उसकी निशानदेही पर गौरव को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ा लिया गया था.
अपहरण में इस्तेमाल की गई कार के चालक को पुलिस ने दिल्ली में पकड़ा था और उसकी निशानदेही पर गौरव को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ा लिया गया था.
हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सभी नागरिकों को अपनी बात रखने की आजादी है लेकिन अनुच्छेद 19 (2) के अंतर्गत कुछ प्रतिबंध भी है जैसे कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक जगह पर कुछ ऐसा नहीं बोल सकता जिससे किसी की धार्मिक भावना आहत हो, या शांति भंग हो.
Muzaffarnagar दंगे में ना केवल शहर जला, बल्कि कई लोगों की जान चली गई वहीं सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध को भी अंजाम दिया गया था. जिस पर अब जाकर दोषियों की सजा मुकर्रर की गई है.
प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में सख्ती बढ़ा दी है. राज्य की सुरक्षा के लिए सरकार ने 'शूट एट साइट' आदेश जारी किया है. आदेश के मुताबिक अगर इलाके में शरारती तत्व नजर आए तो उन्हें सुरक्षाबल देखते ही गोली मार सकते हैं.
मणिपुर के अलग-अलग हिस्सों में भीषण हिंसा भड़की हुई है. राज्य में हालात पर काबू पाने के लिए सरकार ने देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है. .
अगर कोई कुछ ऐसा बोलता है जिससे समाज की शांति भंग हो सकती है तो उस व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्यवाही की जा सकती है
वहीं अगर ऐसे अपराध पूजा के स्थान, या धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोहों में लगे एक सभा में किया जाता है तो यह सजा पांच साल भी हो सकती है.
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने सिंह दंपति की ओर से कहा कि उनके खिलाफ अतार्किक जांच जारी है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वकील सुमीर सोढ़ी ने आरोपों को दुर्भावनापूर्ण बताया.
नकली पहचान पत्र को असली के रूप में इस्तेमाल करना एक अपराध है. ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिताकी कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज़ किया जा सकता है
हमारे देश में किसी को आत्महत्या के लिए उकसाना कानूनी रूप से अपराध माना जाता है. इसके लिए भारतीय दंड सहिंता की धारा 306 के तहत सज़ा सुनाई जा सकती है.
पुलिस हिरासत, न्यायिक हिरासत, सेना या किसी और जांच एजेंसी की हिरासत में अगर किसी आरोपी या दोषी की मौत होती है तो उसे कस्टोडियल डेथ होना कहते है. आइए नज़र डाले किन धाराओं के तहत पुलिस अधिकारी पर हो सकती है कारवाई
कई बार लोग बिना सोचे समझे ही कुछ भी पोस्ट कर देते हैं लेकिन ऐसा करना भारी पड़ सकता है, खास करके तब किसी का पोस्ट समाज पर बुरा प्रभाव डालता है.
जब कोई व्यक्ति नशे में गलत काम करता है, तो कानूनी रुप से उसे उस कार्य के लिए उत्तरदायी नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह साबित नहीं किया जा सकता की उसने आपराधिक नीयत के तहत उस कृत्य को किया है.
बलात्कार जैसे अपराध पर लगाम लगाने के लिए देश के कानून को सख्त कर दिया गया है. आइए नज़र डाले उन धाराओं पर जिंसके तहत दोषियों को मिलती है सज़ा.
शायद ही ऐसा दिन होगा जब अखबार में बलात्कार की कोई खबर ना आए. ऐसे अपराध पर लगाम लगाने के लिए ही देश के कानून को सख्त कर दिया गया है.
पत्नी के साथ क्रूरता करने पर भारतीय दंड संहिता के तहत कारावास और जुर्माने से किया जाएगा दण्डित
खाने में नमक कम हो तो मार पीट, पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी है तो नौकरी करने पर रोक, दहेज के नाम पर हत्या आदि इस तरह के अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
Cyber Fraud ऐसी क्रिमिनल एक्टिविटी है जिसमें COMPUTER या Network Device के जरिए ठगी की जाती है.
हमारे कानून में केवल गैरकानूनी जमीन की खरीद बिक्री करना, या उस पर कब्जा करना ही अपराध की श्रेणी में नहीं आता है बल्कि अवैध रूप से जमीन की बोली लगाना भी एक अपराध है.
अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के कहने पर सच बोलने की शपथ या प्रतिज्ञा नहीं लेता है या इंकार कर देता है वह दोषी माना जाएगा. जिसके लिए उसे सजा भी प्राप्त हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट हत्या के आरोपित इंद्रजीत दास की त्रिपुरा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हाई कोर्ट ने दास की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302/34 (हत्या और साझा मंशा) और धारा 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत सुनाई गई सजा बरकरार रखी थी.
लोक सेवक लोगों की मदद करने के लिए होते हैं, कुछ लोग उनकी ताकत का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं जो कानूनी रूप से अपराध है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब नीति मामले में बेल के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. जहां उन्होंने अपनी याचिका में सीबीआई जांच और गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए जमानत की मांग की थी.
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति लॉन्च हुई थी. इसमें बीजेपी की ओर से घोटाले का आरोप लगाया गया था. सीबीआई ने इस मामले में 16 लोगों पर FIR दर्ज की, जिसमें सिसोदिया को आरोपित नंबर 1 बनाया.
कानून से झूठ बोलना, या कानूनी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करना अपराध है जिसके लिए कानून सख्त सजा देता है.
देश का कोई नेता हो या फिर किसी निजी संगठन में काम करने वाला क्लर्क या फिर कोई भी वो कर्मचारी जिसके कंधों पर पैसों की लेनदेन का ब्योरा रखने की जिम्मेदारी है.अगर वो अपने काम के साथ कोताही करता हैं तो कानून उसे माफ नहीं करता.
अगर कोई व्यक्ति लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहता है तो वो अपराधी माना जाएगा और IPC के तहत वह सजा का भागीदार होगा
शारीरिक संबंध जब भी जोर जबरदस्ती के साथ बनाया जाए तो वह अपराध ही कहलाता है जिसके लिए भारतीय दंड संहिता में सजा का प्रावधान किया गया है.
आपको बता दें कि लोक सेवक विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं. वो जांच और अदालती कार्यवाही में मददगार होते हैं. आईपीसी की धारा 21 के तहत लोक सेवक को परिभाषित किया गया है.
चुनाव का समय आते ही चुनाव में खड़े अभ्यर्थी जोरो शोरो से प्रचार प्रसार करते हैं. जीतने के लिए अपना जी जान लगा देते हैं. इस दौरान कई ऐसे अभ्यर्थी होते हैं जो जीतने के लिए अपराध कर बैठते हैं.
जानबूझकर किसी ऐसे कानून के आदेश की अवज्ञा करता है, जो उस तरीके को विनियमित करता है जिस तरीके से वह किसी आपराधिक जांच को अंजाम दे सकता है.
दुष्कर्म से जुड़े अपराधों के तहत पीड़ित के नाम या किसी भी ऐसी सूचना जिससे पीड़ित की पहचान का पता लगाया जा सके उसको प्रिंट या प्रकाशित करता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा.
IPC की धारा 159 में अपराध के एक प्रकार दंगा के बारे में बताया गया है, अगर कोई दंगा फैलाने की कोशिश करता है तो वो सजा का पात्र होगा.
गलियों में आतिशबाजी, विस्फोटकों को अपने कब्ज़े रखना, सड़कों पर गड्ढ़े खोदना, अवैध शराब के प्रतिष्ठान, जलधाराओं को प्रदूषित करना, राजमार्गों पर यातायात में बाधा डालना, जैसे कृत्यों को आम तौर पर सार्वजनिक उपद्रव के दायरे में लाया जाता है और सख्त कार्यवाही की जाती है.
यदि कोई व्यक्ति किसी न्यायिक कार्यवाही (Judicial Proceeding) में ऐसे झूठे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करता है तो उसे अधिकतम 7 साल तक के कारावास और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है.
कोई भी व्यक्ति किसी की धार्मिक आस्था और किसी भी धर्म की किसी पवित्र वस्तु का अपमान नहीं कर सकता. अगर कोई ऐसा करता है तो वो दोषी माना जाएगा, जिसे कानून के तहत सजा दी जाएगी.