क्या है गैर इरादतन हत्या और मर्डर के बीच अंतर, और सजा का प्राविधान IPC के तहत
हमारे समाज में मानव शरीर के प्रति होते गंम्भीर अपराधों में मुख्यत: गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) और हत्या (Murder) है.
हमारे समाज में मानव शरीर के प्रति होते गंम्भीर अपराधों में मुख्यत: गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) और हत्या (Murder) है.
दर्ज आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि 16 वर्ष की उम्र में नाबालिग होने के बाद भी पीड़िता ने याचिकाकर्ता के पक्ष में बयान दिया है.
साइबर क्राइम के मामले बेहद गंभीर हैं और इनकी संख्या देश में काफी ज्यादा बढ़ गई है। कानून के तहत, साइबर धोखाधड़ी के मामलों में किस तरह प्रोटेक्शन मिलता है और आईपीसी में इसको लेकर क्या प्रावधान हैं, आइए जानते हैं
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
कई बार जब लोगों को कोई जान से मारने की धमकी देता है तो वो डर कर अपराधी की सारी बातें मान लेते हैं. इन हालातों में जरूरी है कि कानून की मदद लें.
पति पत्नी के बीच मार पीट आज कई घरों की कहानी बन गई है लेकिन क्या यह एक अपराध है आइए जानते हैं
मामूली विवाद में किसी की हत्या करने की धमकी देना या चोट पहुंचाने की धमकी देना कानून रुप से एक अपराध माना जाता है. जिसके लिए दोषी को कठोर सजा हो सकती है.
चार दीवारों के बीच होने वाली पति-पत्नी के बीच मारपीट क्या है दंडनीय अपराध? जानें क्या कहता है कानून, इस मामले में किस तरह मिलता है पति या पत्नी को प्रोटेक्शन
पत्नी ने पति पर आईपीसी की धारा 498A के तहत क्रूरता का आरोप लगाया है क्योंकि उसने उनके साथ शारीरिक संबंध निहं बनाए। अदालत ने क्या फैसला सुनाया, आइए जानते हैं
महिला ने पति के खिलाफ शारीरिक संबंध न बनाने पर किया मुकदमा और तलाक की भी मांग की। ब्रह्मकुमारी समाज से कैसे जुड़ा है यह मामला, जानिए
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह एक आर्थिक अपराध है, जमानत के मामले में इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए... मामले में विस्तृत जांच की आवश्यकता है, जो आवेदक/आरोपी से निरंतर पूछताछ पर निर्भर है।’’
अकसर मार-पीट में दोनों पक्षों में किसी एक का सिर पर गंभीर चोट लग जाती है जो कि भारतीय कानून के तहत एक दंडनीय अपराध माना गया है.
भारतीय दंड संहिता यानि IPC की धारा 320 के तहत 8 प्रकार के गंभीर अपराधों का जिक्र किया गया है. इनमें उनमें सिर फोड़ना यानि किसी के सिर पर जान बूझकर वार करना भी शामिल है.
केरल हाईकोर्ट में फर्जीवाड़े का एक मामला आया है जिसमें आरोपी ने जालिया एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट लगाया है और अब उच्च न्यायालय में बेल के लिए याचिका दायर की है।
भारत में दहेज प्रथा और दहेज हत्या के खिलाफ क्या कानून हैं और इनके तहत आरोपियों के लिए क्या सजा तय की गई है? जानिए
दहेज न मिलने पर, एक विवाहित महिला की उसके पति और ससुर ने हत्या कर दी जिसपर अब अदालत ने फैसला सुनाया है। भारत में दहेज प्रथा के खिलाफ क्या कानून हैं और सजा क्या निर्धारित की गई है, जानिए
शादी के बाद एक विवाहित महिला को प्रति क्रूरता वाला बर्ताव करने वाले को कानून के तहत क्या सजा मिलती है और इस कानून का फायदा उठाने वालों के साथ कैसे डील किया जाता है, जानिये यहां.
विशेष लोक अभियोजक संगीता ने अदालत को बताया कि इन चारों ने 16 फरवरी 2010 को बोईसर में देशी शराब के एक ‘बार’ में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे उसके मालिक और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई.
भारत के विधि आयोग ने अपनी नई रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 224A यानी राजद्रोह को बरकरार रखने की अनुशंसा की है, साथ ही, इसकी सजा को बढ़ाने का भी सुझाव दिया है
ऐसे किसी भी शख्स की पहचान नहीं की गई जिसका रास्ता आरोपी के कृत्य से बाधित हुआ हो या उसे कोई परेशानी हुई हो. अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी आम आदमी को गवाह नहीं बनाया गया.
भारतीय दंड संहिता की धारा 325 के तहत क्या आरोप लगाए जाते हैं, उससे क्या होता है और इस दंड की सजा क्या है, आइए सबकुछ जानते हैं
आरोपित व्यक्ति उसकईकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 365 (अपहरण) और 392 (लूटपाट) सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मुकदमे की सुनवाई की जा रही थी.
आरोपी बिजॉय बिन जो की हैलाकांडी जिले के धोलासीत गांव का निवासी है, के खिलाफ पुलिस ने पिछले साल 18 जनवरी को मामला दर्ज किया था.
क्या हमारे देश में दो - दो शादियां करना एक अपराध के श्रेणी में आता है. इसे लेकर अलग- अलग लोग के मन में अलग- अलग धारणाएं बनी हुई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर बार दो शादियां करना अपराध के श्रेणी में नहीं आता.
अपहरण में इस्तेमाल की गई कार के चालक को पुलिस ने दिल्ली में पकड़ा था और उसकी निशानदेही पर गौरव को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ा लिया गया था.
हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सभी नागरिकों को अपनी बात रखने की आजादी है लेकिन अनुच्छेद 19 (2) के अंतर्गत कुछ प्रतिबंध भी है जैसे कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक जगह पर कुछ ऐसा नहीं बोल सकता जिससे किसी की धार्मिक भावना आहत हो, या शांति भंग हो.
प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में सख्ती बढ़ा दी है. राज्य की सुरक्षा के लिए सरकार ने 'शूट एट साइट' आदेश जारी किया है. आदेश के मुताबिक अगर इलाके में शरारती तत्व नजर आए तो उन्हें सुरक्षाबल देखते ही गोली मार सकते हैं.
वहीं अगर ऐसे अपराध पूजा के स्थान, या धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोहों में लगे एक सभा में किया जाता है तो यह सजा पांच साल भी हो सकती है.
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने सिंह दंपति की ओर से कहा कि उनके खिलाफ अतार्किक जांच जारी है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वकील सुमीर सोढ़ी ने आरोपों को दुर्भावनापूर्ण बताया.
कई बार लोग बिना सोचे समझे ही कुछ भी पोस्ट कर देते हैं लेकिन ऐसा करना भारी पड़ सकता है, खास करके तब किसी का पोस्ट समाज पर बुरा प्रभाव डालता है.
शायद ही ऐसा दिन होगा जब अखबार में बलात्कार की कोई खबर ना आए. ऐसे अपराध पर लगाम लगाने के लिए ही देश के कानून को सख्त कर दिया गया है.
खाने में नमक कम हो तो मार पीट, पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी है तो नौकरी करने पर रोक, दहेज के नाम पर हत्या आदि इस तरह के अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
काजल हिंदुस्तानी पर आरोप हैं कि उन्होंने 30 मार्च को रामनवमी के अवसर पर भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके चलते एक अप्रैल की रात ऊना में दंगे भड़क गए थे और शहर में पथराव का भी मामला सामने आया था.
SESSIONS COURT DINDOSHI ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में पीड़िता दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करते समय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में भरोसमंद और विश्वसनीय नहीं लगती है और इस प्रकार, आरोपी द्वारा जबरन यौन हमले के बारे में उचित संदेह है.
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Act-IPC) की धारा 289 के अनुसार, यदि कुत्ता या कोई और जानवर किसी अन्य व्यक्ति को हानि पहुँचाता है तो कुत्ते के मालिक को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है.
आम तौर पर लोग इन सब बातों को नज़रअंदाज़ करते है या पडोसी खुद इसे छोटी सी बात कहकर टाल देता है. कानून की जानकारी न होने के कारण लोग या तो पडोसी से झगड़ा या मार-पीट कर बैठते है या आगे कुछ नहीं करते. लेकिन क्या आपको मालूम है कि ऐसे पड़ोसी का कोई कार्य जिससे आपको परेशानी हो या नुक्सान हो तो मुआवजे के लिए आप कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं .