सरकारी स्टाम्प की जालसाजी करना या जाली स्टाम्प पेपर बेचना, दोनों है अपराध
एक व्यक्ति को इस अपराध का दोषी तब भी पाया जा सकता है, जब वह एक मूल्यवर्ग के वास्तविक स्टाम्प को दूसरे मूल्यवर्ग के स्टाम्प के रूप में इस्तेमाल करता है.
एक व्यक्ति को इस अपराध का दोषी तब भी पाया जा सकता है, जब वह एक मूल्यवर्ग के वास्तविक स्टाम्प को दूसरे मूल्यवर्ग के स्टाम्प के रूप में इस्तेमाल करता है.
IPC की धारा 354 के अनुसार यौन शोषण एक अपराध है और इसके खिलाफ कड़े कानून बनाए गए हैं. WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कोच पर कई महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप है.
हिरासत में मौत होने पर पुलिस अधिनियम, 1861 (The Police Act, 1861) की धारा 7 के तहत एक पुलिस अधिकारी को निलंबित किया जा सकता है.
IPC की धारा 80 लोगों को एक अपवाद भी देती है कि भले ही वे इस अधिनियम का उल्लंघन करते हैं या कोई अपराध करते हैं और यदि वह कार्य किसी दुर्घटना के कारण हुआ है तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत केवल उपयुक्त मामलों में प्रयोग किया जाने वाला एक असाधारण उपाय है. जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की पीठ ने कहा कि अग्रिम जमानत से कोर्ट ने इंकार कर दिया है क्योंकि अभियुक्तों को अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं मिला.
हमारे देश में कानून केवल अपराधियों को सजा के देने के लिए नहीं बल्कि यह अपराधियों को सुधरने का मौका देती है. इसके लिए वो कई तरह के हथकंडे अपनाती है.
इस धारा के स्पष्टीकरण में बताया गया है कि इस धारा में दी गई सजा, उस सजा के अतिरिक्त है जिस अपराध के लिए उसे हिरासत में लिया जाना था या आरोप लगाया गया था, या उसे दोषी ठहराया गया था.
जो कोई लोक सेवक किसी अन्य व्यक्ति को किसी कथित अपराध के चलते या किसी सज़ा के चलते या कानूनी तौर पर कारावास में रखने के लिए बाध्य है, लेकिन वह लोक सेवक अपनी लापरवाही दिखाता है तो जानिए क्या होता है.
किसी ऐसे सैनिक को अगर आप अपने घर में पनाह दे रहे हैं जो भगोड़ा है तो सावधान हो जाईए.
कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .
उन्नाव रेप कांड (Unnao Rape Case) में दोषी रहे, बीजेपी (BJP) से निष्कासित और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) को जमानत मिल गई है.
अपराध करना अगर गुनाह है तो अपराधी को छुपाना, अपराध करने में किसी की मदद करना या अपराधी को अपने पास रखना भी कानूनी रूप से दंडनीय है.
कुछ डॉक्टर ऐसे होते हैं जिनके कारण कारण मरीजों की समस्या कम होने के बदले और बढ़ जाती है. इलाज के दौरान कुछ डॉक्टर लापरवाही कर देते हैं. इस लापरवाही पर कानून भी बहुत सख्त है
IPC की धारा 213 और 214 इससे संबंधित है और ऐसे कृत्यों के लिए सज़ा का प्रावधान बनाती है. इस धारा के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी अपराधी को बचाने के लिए कोई उपहार या संपत्ति लेता है या देता है, इन दोनों ही स्थिति में उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज़ किया जा सकता है और सख्त सज़ा भी दी जा सकती है.
हमारे संविधान ने हमें जहां एक ओर अधिकार दिए हैं वहीं कुछ जिम्मेदारियां भी दी हैं. वो जिम्मेदारी है देश में शांति व्यवस्था बनाए रखना. देश के प्रति ईमानदार रहना, देश में शांति व्यवस्था को कायम रखना. अगर कोई व्यक्ति उन जिम्मेदारियों को पूरा करने में चूक जाता है या उनका उल्लंघन करता है तो भारतीय दंड संहिता (India Penal Code) के तहत उन्हे सजा भी दी जाती है.
कहते हैं गुनाह करने वाले से भी बड़ा गुनहगार होता है उस गुनाह को छिपाने वाले. कानूनी रूप से इसे एक अपराध माना जाता है. हमारे देश में इसे लेकर भारी सजा का भी प्रावधान है.
भारतीय दंड सहिंता (Indian Penal Code) में 208 और 210 के तहत परिभाषित अपराध के अनुसार जो कोई व्यक्ति, किसी राशि के लिए धोख से अपने खिलाफ डिक्री (Decree) होने देता है या अपने हित में डिक्री (Decree) हासिल करता है, तो दोनों ही स्थिति में उसे दंडित किया जा सकता है. आइए जानते हैं IPC की धारा 208 और 210 के विषय में कुछ अहम बातें.
Indian Penal Code की धाराएं 19, 20 और 21 में न्यायाधीश, न्यायालय (Court of Justice) और लोक सेवक को परिभाषित करती है.