अपराधी को शरण देना या छुपाना है अपराध, होगी 5 साल तक की जेल की सजा
कहते हैं गुनाह करने वाले से भी बड़ा गुनहगार होता है उस गुनाह को छिपाने वाले. कानूनी रूप से इसे एक अपराध माना जाता है. हमारे देश में इसे लेकर भारी सजा का भी प्रावधान है.
कहते हैं गुनाह करने वाले से भी बड़ा गुनहगार होता है उस गुनाह को छिपाने वाले. कानूनी रूप से इसे एक अपराध माना जाता है. हमारे देश में इसे लेकर भारी सजा का भी प्रावधान है.
भारतीय दंड सहिंता (Indian Penal Code) में 208 और 210 के तहत परिभाषित अपराध के अनुसार जो कोई व्यक्ति, किसी राशि के लिए धोख से अपने खिलाफ डिक्री (Decree) होने देता है या अपने हित में डिक्री (Decree) हासिल करता है, तो दोनों ही स्थिति में उसे दंडित किया जा सकता है. आइए जानते हैं IPC की धारा 208 और 210 के विषय में कुछ अहम बातें.
Indian Penal Code की धाराएं 19, 20 और 21 में न्यायाधीश, न्यायालय (Court of Justice) और लोक सेवक को परिभाषित करती है.
भारतीय दंड संहिता 1860 में कई अपराध और सजा दोनों के बारे में जानकारी दी गई है. इनमें से हैं धारा 117 और 118 है. आईए जानते हैं धारा 117 और 118 में किन अपराधों के लिए सजा मिलती है.
भारतीय दंड संहिता(Indian Penal Code)1860 की धारा (Section)120A,120B चैप्टर पांच A के अंतर्गत आता है. इस चैप्टर को दो भागों में बाटा गया है. पहली धारा (Section)120A और दूसरी धारा (Section)120B.
IPC में हर अपराध की अलग परिभाषा दी गई है. इसके अंदर आने वाले धारा 114 और 115 भी किसी अपराध और उसके तहत क्या सजा होनी चाहिए उसके बारे में बताता है.
ऐसे चीज़ जो धरती से नहीं जुड़ी हुई है और उसे उसकी जगह से किसी दूसरी जगह पर आसानी से ले जाया जा सकता है. जैसे आपकी पॉकेट में रखा हुआ पैसा, मोबाईल, आपकी घड़ी, आईपैड, गाडी, आभूषण, कंप्यूटर, धन जैसी मूल्यवान चीजें चल संपत्ति (Movable Property) में आती है, जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है.
IPC की धारा 113 भी दुष्प्रेरण (उकसाने) पर मिलने वाले सजा को लेकर ही है. जब कोई किसी को अपराध के लिए उकसाता है तो उस अपराध के अलावा कोई और अपराध हो जाए और अगर उकसाने वाले व्यक्ति को उस बारे में पहले से ही पता हो, तब उसे कैसी सजा मिलेगी. क्या उसे वही सजा मिलेगी जिसके लिए उसने उकसाया था या फिर कुछ और अपराध होने की वजह से उकसाने वाले को सजा नहीं मिलेगी.
क्या आपको पता है हमारे देश के कानून में इस तरह के अपराध को गंभीर अपराध माना गया है, क्योकि झूठे सबूत या झूठे प्रमाण पत्र या बयान किसी के जीवन को भी प्रभावित कर सकते है. IPC में झूठे सबूत या गवाही देने वाले व्यक्ति के साथ-साथ उन झूठे साक्ष्यों को इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को भी सख्त सज़ा का प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं, झूठे सबूत, प्रमाणपत्र या घोषणा को सच्चा बताकर इस्तेमाल करने का क्या मतलब है और न्यायालय में ऐसे सबूत जमा करने पर क्या हो सकती है भारतीय दंड सहिंता (IPC) के तहत कार्रवाई.
इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो कानूनी रूप से सत्य बोलने के लिए बाध्य है, या तो शपथ द्वारा या कानून के किसी स्पष्ट प्रावधान द्वारा, लेकिन वह कोई ऐसा बयान देता है जो झूठा है और जिसे वह जानता है या विश्वास करता है कि वह झूठ है या सत्य नहीं है, इस काम को झूठा साक्ष्य देना कहा जाता है. झूठा साक्ष्य देना या तो मौखिक रूप से हो सकता है या किसी भी अन्य तरीके से दिया गया साक्ष्य हो सकता है.
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा (Section) 112 में एक साथ मिलने वाली कई सजा के बारे में बताता है. इस धारा के अंतर्गत बताया गया है कि आखिर कब एक अपराध के लिए उकसाने वाले व्यक्ति को कई अपराध के लिए सजा मिलती है. कैसे दुष्प्रेरक का एक आपराधिक उद्देश्य कई अपराधों में बदल जाता है, जिसके कारण दुष्प्रेरक इस धारा के तहत एक से ज्यादा अपराधों के लिए सजा का पात्र हो जाता है.
भारत में किसी व्यक्ति को अपराध के लिए उकसाना कानून के नजर में दंडनीय है. धारा 111 के तहत इस बात का जिक्र है कि अगर आप किसी को बहका रहे हैं किसी अपराध के लिए तो बहकाने वाले को किस तरह की सजा मिलेगी. जब जिस अपराध के लिए उकसाया गया है. उस अपराध के बजाय कोई और अपराध हो जाए तो बहकाने वाले को क्या सजा मिलेगी. इसी के बारे में धारा 111 में बताया गया है.
IPC की धारा 109 में अपराध के दुष्प्रेरण पर क्या सजा दी जाए इसका जिक्र किया गया है. धारा 110 में इस बात का जिक्र है जब कोई किसी को किसी अपराध के लिए उकसाता है और जिस अपराध के लिए उकसाया गया था. वो ना होकर कोई और अपराध हो जाय तो उकसाने वाले को क्या सजा मिलती है.
क्या आपको पता है हमारे देश के कानून में इस तरह के अपराध को गंभीर अपराध माना गया है, क्योकि झूठे सबूत या झूठे प्रमाण पत्र या बयान किसी के जीवन को भी प्रभावित कर सकते है. IPC में झूठे सबूत या गवाही देने वाले व्यक्ति के साथ-साथ उन झूठे साक्ष्यों को इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को भी सख्त सज़ा का प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं, झूठे सबूत, प्रमाणपत्र या घोषणा को सच्चा बताकर इस्तेमाल करने का क्या मतलब है और न्यायालय में ऐसे सबूत जमा करने पर क्या हो सकती है भारतीय दंड सहिंता (IPC) के तहत कार्रवाई.
इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो कानूनी रूप से सत्य बोलने के लिए बाध्य है, या तो शपथ द्वारा या कानून के किसी स्पष्ट प्रावधान द्वारा, लेकिन वह कोई ऐसा बयान देता है जो झूठा है और जिसे वह जानता है या विश्वास करता है कि वह झूठ है या सत्य नहीं है, इस काम को झूठा साक्ष्य देना कहा जाता है. झूठा साक्ष्य देना या तो मौखिक रूप से हो सकता है या किसी भी अन्य तरीके से दिया गया साक्ष्य हो सकता है.
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा (Section) 112 में एक साथ मिलने वाली कई सजा के बारे में बताता है. इस धारा के अंतर्गत बताया गया है कि आखिर कब एक अपराध के लिए उकसाने वाले व्यक्ति को कई अपराध के लिए सजा मिलती है. कैसे दुष्प्रेरक का एक आपराधिक उद्देश्य कई अपराधों में बदल जाता है, जिसके कारण दुष्प्रेरक इस धारा के तहत एक से ज्यादा अपराधों के लिए सजा का पात्र हो जाता है.
भारत में किसी व्यक्ति को अपराध के लिए उकसाना कानून के नजर में दंडनीय है. धारा 111 के तहत इस बात का जिक्र है कि अगर आप किसी को बहका रहे हैं किसी अपराध के लिए तो बहकाने वाले को किस तरह की सजा मिलेगी. जब जिस अपराध के लिए उकसाया गया है. उस अपराध के बजाय कोई और अपराध हो जाए तो बहकाने वाले को क्या सजा मिलेगी. इसी के बारे में धारा 111 में बताया गया है.
IPC की धारा 109 में अपराध के दुष्प्रेरण पर क्या सजा दी जाए इसका जिक्र किया गया है. धारा 110 में इस बात का जिक्र है जब कोई किसी को किसी अपराध के लिए उकसाता है और जिस अपराध के लिए उकसाया गया था. वो ना होकर कोई और अपराध हो जाय तो उकसाने वाले को क्या सजा मिलती है.