जानें डेथ वारंट और ब्लैक वारंट से जुड़ी अहम बातें
किसी कोर्ट द्धारा किसी मुजरिम को सजा-ए-मौत मिलने के बाद कोर्ट जेल प्रशासन को कैदी के लिए डेथ वारंट जारी करती है. वारंट जारी होने के 15 दिनों के अंदर किसी भी हाल में दोषी को फांसी दी जाती है.
किसी कोर्ट द्धारा किसी मुजरिम को सजा-ए-मौत मिलने के बाद कोर्ट जेल प्रशासन को कैदी के लिए डेथ वारंट जारी करती है. वारंट जारी होने के 15 दिनों के अंदर किसी भी हाल में दोषी को फांसी दी जाती है.
जब भी फांसी की सजा की बात होती है तब- तब दो शब्दों का जिक्र जेल, कोर्ट, कचहरी, शहर-कस्बे से लेकर गांव-देहात तक जरुर होता है वो शब्द हैं "ब्लैक वारंट" और “डेथ वारंट. आइए जानते हैं कि आखिर ये दोनों वारंट हैं क्या?
जब भी फांसी की सजा की बात होती है तब- तब दो शब्दों का जिक्र जेल, कोर्ट, कचहरी, शहर-कस्बे से लेकर गांव-देहात तक जरुर होता है वो शब्द हैं "ब्लैक वारंट" और “डेथ वारंट. आइए जानते हैं कि आखिर ये दोनों वारंट हैं क्या?