मैटरनिटी लीव से इंकार करना संविधान के अनुच्छेद 29, 39 का उल्लंघन: हिमाचल हाईकोर्ट
हर कामकाजी महिला को प्रेगनेंसी के दरमियान अवकाश लेने का अधिकार इसलिए दिया गया है ताकि मातृत्व की गरिमा की रक्षा की जा सके.
हर कामकाजी महिला को प्रेगनेंसी के दरमियान अवकाश लेने का अधिकार इसलिए दिया गया है ताकि मातृत्व की गरिमा की रक्षा की जा सके.
PESA Act का मुख्य उद्देश्य है ग्राम सभा को शक्तियां देकर जनजाति वर्ग को सशक्त बनाना. ग्राम सभा इन शक्तियों का इस्तेमाल आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले जनजातियों के विकास के लिए करें और उनके हक की रक्षा कर सकें.
विधि आयोग ने हाल में कहा कि उसने समान नागरिक संहिता पर नए सिरे से विचार करने का फैसला किया है. इस मामले में, आयोग ने सभी संबंधित पक्षों से सुझाव भी आमंत्रित किया है, जिनमें आम लोग और धार्मिक संगठनों के सदस्य शामिल हैं.
भारत में वो दो कौन सी ऐसी स्थितियां थीं, जब देश में वित्तीय आपातकाल घोषित किया जा सकता था? संविधान के अनुसार वित्तीय आपातकाल क्या है और इसे कब लागू किया जाता है, जानिये.
केंद्र सरकार ने कुछ 'हज ग्रुप ऑर्गनाइजर्स' (HGOs) के पंजीकरण को सस्पेन्ड कर दिया गया था और उनके हज कोटा पर भी रोक लगा दी थी। इसके चलते HGOs ने कोर्ट में याचिका दायर की जिसका फैसला दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके हक में सुनाया है...
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि पांच महीने से अधिक समय बीत चुका है लेकिन अभी तक 75 से ज्यादा कैंडिडेट्स के रिजल्ट घोषित नहीं किए गए हैं.
हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार चल रही एक महिला एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को रिहा करते हुए कहा कि हर बार न्यूडिटी को अश्लीलता से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के तहत 'जबरदस्ती' दंडनीय क्यों है और 'अनुचित प्रभाव' अपराध क्यों नहीं है, समझें अंतर
महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फातिमा के खिलाफ बच्चों का यौन शोषण से संरक्षण (पॉक्सो) कानून, किशोर न्याय और सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के तहत मुकदमा चल रहा था.
हर किसी व्यक्ति की पहचान सबसे पहले उसके नाम से ही होती और उसके बात दूसरी चीज़ो से. कई लोग अपना नाम बदलवा भी लेते है जिसके लिए अलग कानूनी प्रक्रिया है
अगर आप अपना नाम बदलना चाहते हैं और आपको ऐसा करने से रोका जा रहा है, तो क्या ये आपके मौलिक अधिकारों का हनन है? जानिए कानून इस बारे में क्या कहता है
अगर ऐसी कोई स्थिति होटी है जब आपको अपने ही परिवार से सुरक्षा चाहिए हो, तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आप ऐसा कर सकते हैं। जानें कैसे
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म, जाति परिवर्तन और विवाह के बाद दस्तावेजों में नाम बदलने की अनुमति नहीं देने वाले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अधिनियम के प्रावधान को रद्द किया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहकर 20 वर्षीय लड़की को सिक्योरिटी दिलवाई है क्योंकि उसे अपने ही परिवार के सदस्यों से खतरा है। जानें ऐसी स्थितियों में संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किस तरह प्रोटेक्शन पाया जा सकता है
भारतीय दंड संहिता की धारा 325 के तहत क्या आरोप लगाए जाते हैं, उससे क्या होता है और इस दंड की सजा क्या है, आइए सबकुछ जानते हैं
भारत के संविधान में न सिर्फ नागरिकों के मूल अधिकार और उनके कर्तव्य तय किए गए हैं बल्कि विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका किस तरह काम करेंगे और उनकी शक्तियों का विभाजन कैसा होगा इसके बारे में भी बताया गया है
भारत के संविधान का अपमान करने या फिर उसे जलाने-फाड़ने की कानून में क्या सजा है, आइए विस्तार से जानते हैं .
पुलिस समाज की रक्षा के लिए है लेकिन अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें पुलिस अपनी शक्तियों का गलत फायदा उठा कर आम लोगों को परेशान करते हुए पायी जाती है.
हमारे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी और स्वतंत्र निकाय की स्थापना की गई है, जिसे चुनाव आयोग के रूप में जाना जाता है. इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को संविधान के अनुसार किया गया था.
न्यायिक समीक्षा को संविधान की मूल संरचना (इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण केस 1975) माना जाता है. न्यायिक समीक्षा को भारतीय न्यायपालिका के व्याख्याकार (Interpreter) और पर्यवेक्षक (Supervisor) की भूमिका में देखा जाता है.
न्याय, एक सभ्य समाज की नींव बनाता है. न्यायोचित कानूनों के बिना समाज असहिष्णु और कठोर हो जाता है, जो समाज को संघर्ष की ओर धकेलता है. सामाजिक न्याय समाज में कई पहलुओं जैसे आर्थिक, शैक्षिक और कार्यस्थल में अवसरों में निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुटों की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य पीठ ने आज इस मामले पर फैसला सुनाते हुए इसे वृहद पीठ को भेजने का फैसला सुनाया. पीठ को यह फैसला करना था कि क्या दाऊदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा संविधान के तहत 'संरक्षित' है या नहीं.
हमारे संविधान ने सभी धर्मों को एक समान माना है और जो कोई भी किसी धर्म का अपमान करेगा और धार्मिक संवेदनशीलता को चोट पहुंचाएगा तो उसे IPC के तहत सजा मिलेगी.
पीठ के 5 में से 3 सदस्यों के सेवानिवृत होने के चलते बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सुनवाई नही हो पा रही थी, जिसके चलते उपाध्याय के अधिवक्ता ने मामले को सीजेआई के समक्ष मेंशन किया.
जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता में संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है.संविधान पीठ में जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर के साथ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी राम सुब्रमण्यम और जस्टिस बी वी नागरत्ना शामिल रहें.
सर्वोच्च अदालत में वर्ष 2022 में संविधान पीठ के चार फैसले दिए गए. 2021 में यह संख्या 3 और 2020 में यह संख्या 11 थी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की जाने वाली केस सूची के अनुसार संविधान पीठ के सभी पांच जज अपने फैसले को लेकर एकमत है. संविधान पीठ के सभी जजों की तरफ से जस्टिस बी आर गवई फैसला सुनाएंगे.
जमानती और गैर-जमानती अपराधों में मूल अंतर यही है कि जमानती अपराध में जमानत, आरोपी का अधिकार है और गैर-जमानती अपराध में जमानत अदालत के निर्णय पर निर्भर करती है.
विशेष विवाह अधिनियम विभिन्न धर्मों को मानने वाले युगलों को विवाह की सुविधा प्रदान करने तथा स्वेच्छा से विवाह को प्राथमिकता देने के लिए अधिनियमित किया गया था. हमारे देश में विशेष विवाह अधिनियम का सर्वाधिक प्रयोग 15 से 19 आयु वर्ग की महिलाओं द्वारा किया जाता है.
कोई भी आम नागरिक सुप्रीम कोर्ट से जानकारी पाने के लिए registry.sci.gov.in/rti_app पोर्टल से आवेदन कर सकता हैं. पोर्टल से जानकारी हासिल करने के लिए आवेदनकर्ता को लॉगिन आईडी बनाने के बाद फॉर्म भरना होगा.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने चुनाव आयुक्त के पद पर आईएएस अरूण गोयल की नियुक्ति की फाइल को गुरूवार को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए है. कोर्ट ने कहा कि वह जानना चाहती है कि नियुक्ति में प्रक्रिया का पालन किया गया है.