Special Leave Petition कब फाइल की जाती है?
सर्वोच्च न्यायालय को देश में किसी भी अदालत द्वारा किए गए किसी भी मामले या मामले में किसी भी फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए विशेष अनुमति पाने की अनुमति देता है
सर्वोच्च न्यायालय को देश में किसी भी अदालत द्वारा किए गए किसी भी मामले या मामले में किसी भी फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए विशेष अनुमति पाने की अनुमति देता है
भारतीय संविधान हर नागरिक को अनुच्छेद 19 के तहत 'भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी' प्रदान करता है लेकिन इस आजादी की एक सीमा होती है। यह सीमा क्या है और अभिव्यक्ति की आजादी कब, राजद्रोह में तब्दील हो जाती है, जानिए...
इन अपीलीय प्रक्रियाओं के लिए दिशानिर्दश अनुच्छेद 136 में प्रदान किया गया है, आइये जानते है इस अनुच्छेद के विषय में ।
लेकिन इसमें कई ऐसे प्राविधान थे जो कि भारत सरकार अधिनियम 1935 से लिए गए थे और इन प्रावधानों को शामिल इसलिए किया गया था क्यों कि कहीं न कहीं वो सारे नियम भारत को सशक्त करते थे. आइये जानते है आखिर वो कौन से प्रविधान थे।
भारत में किन लोगों को 'अनुसूचित जाति' की श्रेणी में शामिल किया जाएगा, इसको लेकर संविधान का अनुच्छेद 341 क्या कहता है, इसे लागू करने के लिए किस संवैधानिक आदेश को जारी किया गया था और इस संवैधानिक आदेश के किस हिस्से के खिलाफ याचिका दायर की गई है, जानें
ऐसा कहा जाता है कि रेड्क्लिफ ने कई जगहों की बाउंड्री का निर्धारण पुलिस थाना को आधार बनाकर किया जो आगे चलकर विवाद का विषय बना. आइये जानते है क्या था बेरुबाड़ी का मामला.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323A में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के बारे में बताया गया है लेकिन अनुच्छेद 323B में किस तरह के 'ट्राइब्यूनल्स' की बात की गई है और इनकी स्थापना कौन करता है- जानिए
10वीं अनुसूची में (Anti-Defection Law) का प्रावधान है, ये वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के द्वारा लाया गया है
अहमद खान ने शाह बानो को तीन बार तलाक (ट्रिपल तलाक) बोलकर तलाक दे दिया और घर से बेदखल कर दिया.
भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची में 'दल बदल विरोधी कानून' (Anti-Defection Law) कहा जाता है, ये वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के द्वारा लाया गया है।
रॉबर्ट्स ने लिखा है कि "इस राय में ऐसा कुछ भी नहीं माना जाना चाहिए जो विश्वविद्यालयों को किसी आवेदक की चर्चा पर विचार करने से रोकता हो कि नस्ल ने उसके जीवन को कैसे प्रभावित किया, चाहे वह भेदभाव, प्रेरणा या अन्यथा के माध्यम से हो."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल वाले बयान के बाद 'समान नागरिक संहिता' चर्चा का एक बड़ा विषय बन गया है। 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' क्या है, भारतीय संविधान में इसका उल्लेख कैसे किया गया है, भारत में आज यह चर्चा का एक ज्वलंत मुद्दा क्यों है, जानिए
भारतीय संविधान में संशोधन सम्बन्धी प्रावधान भाग 20 (XX) 368वें अनुच्छेद में बताया गया है. संविधान में संशोधन मुख्यत: तीन प्रकार से हो सकता है
हमारे देश मे जातिवाद और जातीय भेद-भाव से सम्बंधित मामलों पर लगाम लगाने के लिए ,SC/ST Act 1989 को पारित किया गया, ताकि समाज में इस दुर्भावना से किये गए अपराध को रोका जा सके, आइये विस्तार से इस एक्ट के बारे में जानते है।
राष्ट्रीय आपातकालीन प्रावधान भारत के संविधान के भाग अठारह (Part XVIII) में अनुच्छेद 352 (Article 352 ) में निहित हैं .
अदालत ने तीनों बच्चों को ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत कक्षा 1 में प्रवेश के लिए स्कूल से संपर्क करने का निर्देश दिया.
न्यायपालिका अपना काम अच्छी तरह, बिना किसी रुकावट के कर सके, इसके लिए अधिकरणों (Tribunals) की स्थापना की गई है और काम को बांटने का प्रयास किया गया है। लोक सेवा से जुड़े मामलों को सुलझाने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323A के तहत क्या प्रावधान है, आइए जानते हैं
आदिवासियों के अधिकार और उनकी रक्षा के लिए पेसा कानून (PESA), 1996 बनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शादी का जारी रहना असंभव होने की स्थिति (irretrievable breakdown of marriage) में सुप्रीम कोर्ट सीधे अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकता है.
हमारे देश का संविधान हर किसी को एक समान नजरों से देखता है और सबको एक दूसरे का सम्मान करना भी सिखाता है. साथ ही अगर कोई किसी के साथ भेदभाव करता है तो वह दंडनीय अपराध माना जाएगा.
कानून समाज की सुरक्षा के लिए है, उसे हाथ में लेने का अधिकार उनके पास भी नहीं है जो लोग इसे लागू करने में लगे होते हैं.
एक आज़ाद देश सही मायने में तभी आज़ाद है जब वहां लोगों को बोलने की स्वतंत्रता हो. भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 (A ) देश के नागरिकों को बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है. हालाँकि संविधान के अनुछेद 19 (2) में उन परिस्थितियों का भी जिक्र किया गया है जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सरकार छीन सकती है.
हलफनामे में केन्द्र ने कहा है कि वर्तमान मामले में संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों के विधायी अधिकार और राज्यों के निवासियों के अधिकार शामिल हैं और इसलिए सभी राज्यों को भी इस सुनवाई में शामिल किया जाना चाहिए.
समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान सीजेआई और केन्द्र सरकार के एसजी तुषार मेहता के बीच दिलचस्प बहस भी देखने को मिली.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाएं दायर की गईं.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी. पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.
हमारे देश का संविधान अपने आप में हिंदूस्तान की पुरी तस्वीर खुद में समेटे हुए है.संविधान निर्माताओं की ये देशभक्ति ही थी कि उन्होने इतने कम समय में ही विश्व के सबसे महान संविधान को तैयार किया था. भारतीय संविधान का जनक की जयंती पर आईए जानते है देश के संविधान की रोचक बाते.
जहां एक ओर सर्वोच्च न्यायालय केवल मौलिक अधिकारों के हनन की स्थिति में ही रिट जारी कर सकता है, वहीं उच्च न्यायालय को किसी अन्य उद्देश्य के लिये भी रिट जारी करने का अधिकार है.
अदालत का मानना है कि अगली तारीख तक ‘आज तक’ न्यूज चैनल प्राथमिकी से संबंधित किसी भी सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल न करे. विस्तृत सुनवाई के लिए मामले को 17 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया जाता है.’’
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि "केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपने हलफनामें में 6 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करते हुए यह बताए कि क्या सरकारी खर्च पर या सरकारी खजाने से धार्मिक शिक्षा प्रदान करना संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26, 29 और 30 का उल्लंघन हो सकता है"
याचिका में कहा गया है कि कोई भी राज्य इस तरह से आपराधिक कानून नहीं बना सकता है जो एक ही अधिनियम बनाकर भेदभाव पैदा करता है जो कुछ के लिए दंडनीय हो सकता है, दूसरों के लिए "सुखद" हो सकता है.
राष्ट्रपतियों के पास कुछ शक्तियाँ होती हैं जो केवल उन्हीं की होती हैं, जिनका वे उपयोग कर सकते हैं. उनमें से एक वीटो शक्ति है. राष्ट्रपति किसी विधेयक को अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करके रोक भी सकता है.
राष्ट्रपति युद्ध या सशस्त्र विद्रोह या बाहरी आक्रमण की वास्तविक घटना के होने से पहले ही, देश के नागरिकों की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है.
सीजेआई द्वारा गठित इस संविधान पीठ में सीजेआई CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल है. यह पीठ 21 मार्च से मामलों पर सुनवई शुरू करेगी.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता में गठित 5 सदस्य संविधान पीठ ने 9 दिन तक चली मैराथन सुनवाई के बाद आज इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
हमारे देश में रोटी, कपड़ा,और मकान के अलावे शिक्षा भी मौलिक अधिकार के तहत आता है. जिसके अनुसार देश के हर बच्चे को चाहे वो अमीर हो या गरीब पढ़ाई करने का अधिकार है, वो अपने मन से किसी भी स्कूल में पढ़ाई कर सकते हैं और अगर कोई उनके इस अधिकार को छीनता है तो वह दोषी माना जाएगा.