पुलिस द्वारा गवाहों का परीक्षण सीआरपीसी की किन धाराओं के तहत होता है- जानिये
ऐसा व्यक्ति, अधिकारी द्वारा मामले से संबंधित पूछे गए सभी सवालों का सही जवाब देने के लिए बाध्य होगा. भले ही उन सवालों के जवाब देने पर वो शक के दायरे में ही क्यों ना आ जाए.
ऐसा व्यक्ति, अधिकारी द्वारा मामले से संबंधित पूछे गए सभी सवालों का सही जवाब देने के लिए बाध्य होगा. भले ही उन सवालों के जवाब देने पर वो शक के दायरे में ही क्यों ना आ जाए.
एक पुलिस अधिकारी जो वारंट को निष्पादित करता है, वह गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को इसकी सूचना देगा और यदि वह मांग करता है, तो वह उसे वारंट दिखाएगा.
कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता. ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. कानून में खराब व्यवहार को अपराध या गुनाह माना जाता है और नतीजन आपको सजा हो सकती है.
याचिका में कहा गया है कि तेजस्वी यादव पटना के निवासी हैं, लेकिन CBI उन्हें दिल्ली में पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कह रही है, जो कि CRPC की धारा 160 के प्रावधान के विपरीत है.
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री द्वारा लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार इस प्रक्रिया के लिए दिल्ली एलएलयू उपकुलपति की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया गया है.
तलाक को हमारा समाज बहुत अच्छी नजरों से नहीं देखता है इसलिए जब भी कोई महिला तलाक के बारे में सोचती है तो सबसे पहले वो यही सोचती है कि समाज क्या कहेगा लेकिन महिलाएं इन सबसे ऊपर उठ रही हैं क्योंकि महिलाएं अब जागरूक हो रही है अपने अधिकारों के प्रति.
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 31 में केवल एक विचारण (Trial) में दो या अधिक अपराधों के एक आरोपी व्यक्ति की सजा को सन्दर्भित किया गया है
कुछ अपराधी सजा काटने के बाद जुर्म का रास्ता छोड़ कर सही रास्ते पर आ जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे अपराधी होते हैं जो सजा काटने के बाद भी बाज नहीं आते हैं जो, समाज के लिए हमेशा खतरा बने रहते हैं.
धूत के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एक ही तारीख को सीबीआई और ईडी दोनो ही उन्हे जांच के लिए बुलाया था. उसी तारीख को ईडी (Enforcement Directorate) द्वारा समन किया गया था
जज अंजनी महाजन ने सीबीआई से इस बात की भी जांच करने को कहा कि कैसे एक आधिकारिक दस्तावेज़, यानी सीलबंद लिफाफे में रखी गई सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर किए जाने से एक दिन पहले लीक सीबीआई के कार्यालय से हो गई.
हमारे देश के कानून के अनुसार कई बार जेल में बंद कैदियों को उनके व्यवहार, अपराध के इतिहास और भविष्य में बदलाव की संभावनाओं को देखते हुए सज़ा की अवधि पूरी करने से पहले ही रिहा कर दिया जाता है. यह सरकारों की सजा माफी यानी परिहार नीति (Remission Policy) के जरिए किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण फैसला उनके समक्ष आए इस मुद्दे पर बहस के बाद दिया है कि क्या 90 दिनों के भीतर CRPC के तहत चार्जशीट दाखिल नहीं करने पर दी गई जमानत को, चार्जशीट पेश करने के आधार पर रद्द किया जा सकता है.
इन - कैमरा के अंतर्गत हुई कार्यवाही को छापने और प्रकाशित करने की अनुमति किसी को नहीं है, अगर कोई इसे छापता है या प्रकाशित करता है तो वो सजा का पात्र होगा.
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री द्वारा लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार इस प्रक्रिया के लिए दिल्ली एलएलयू उपकुलपति की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया गया है.
तलाक को हमारा समाज बहुत अच्छी नजरों से नहीं देखता है इसलिए जब भी कोई महिला तलाक के बारे में सोचती है तो सबसे पहले वो यही सोचती है कि समाज क्या कहेगा लेकिन महिलाएं इन सबसे ऊपर उठ रही हैं क्योंकि महिलाएं अब जागरूक हो रही है अपने अधिकारों के प्रति.
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 31 में केवल एक विचारण (Trial) में दो या अधिक अपराधों के एक आरोपी व्यक्ति की सजा को सन्दर्भित किया गया है
कुछ अपराधी सजा काटने के बाद जुर्म का रास्ता छोड़ कर सही रास्ते पर आ जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे अपराधी होते हैं जो सजा काटने के बाद भी बाज नहीं आते हैं जो, समाज के लिए हमेशा खतरा बने रहते हैं.
धूत के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एक ही तारीख को सीबीआई और ईडी दोनो ही उन्हे जांच के लिए बुलाया था. उसी तारीख को ईडी (Enforcement Directorate) द्वारा समन किया गया था
जज अंजनी महाजन ने सीबीआई से इस बात की भी जांच करने को कहा कि कैसे एक आधिकारिक दस्तावेज़, यानी सीलबंद लिफाफे में रखी गई सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर किए जाने से एक दिन पहले लीक सीबीआई के कार्यालय से हो गई.
हमारे देश के कानून के अनुसार कई बार जेल में बंद कैदियों को उनके व्यवहार, अपराध के इतिहास और भविष्य में बदलाव की संभावनाओं को देखते हुए सज़ा की अवधि पूरी करने से पहले ही रिहा कर दिया जाता है. यह सरकारों की सजा माफी यानी परिहार नीति (Remission Policy) के जरिए किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण फैसला उनके समक्ष आए इस मुद्दे पर बहस के बाद दिया है कि क्या 90 दिनों के भीतर CRPC के तहत चार्जशीट दाखिल नहीं करने पर दी गई जमानत को, चार्जशीट पेश करने के आधार पर रद्द किया जा सकता है.
इन - कैमरा के अंतर्गत हुई कार्यवाही को छापने और प्रकाशित करने की अनुमति किसी को नहीं है, अगर कोई इसे छापता है या प्रकाशित करता है तो वो सजा का पात्र होगा.