वकील को कब किया जा सकता है गिरफ्तार, कानून के तहत उन्हें क्या हैं विशेषाधिकार?
भारत में वकील को कब गिरफ्तार किया जा सकता है, उसकी क्या शर्ते हैं और कानून के तहत उन्हें क्या कोई विशेषधिकार मिले हैं, जानिए
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भारतीय वकील इंग्लैंड में वकालत करते समय नहीं कर सकते हैं ये काम। जानें क्या कहता है बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ इंग्लैंड एंड वेल्स का MoU
Supreme Court collegium ने Bombay High Court के अधिवक्ता Firdosh Phiroze Pooniwalla के मामले में आईबी की कुछ आपत्तियों को दरकिनार किया है.
राजस्थान विधानसभा में 21 मार्च को ही Advocates (Protection) Bill पारित किया गया था, जिसके साथ ही वकीलों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है.
अधिवक्ता नरवाल की हत्या की त्वरित जांच की मांग को लेकर शुरू हुए विरोध के बाद बार एसोसिएशन अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम की मांग कर रहे हैं.
राजस्थान विधानसभा द्वारा इस विधेयक को पारित किए जाने के बाद अब राजस्थान में अगर किसी ने वकील पर हाथ उठाया तो वह गैर जमानती अपराध माना जाएगा.
कानूनी पेशा एक ऐसा पेशा है जिसका काम केवल लोगों को न्याय दिलाना है ना कि व्यवसाय करना. इससे वकीलों और लॉ फॉर्म्स के बीच खराब प्रतियोगिता (Unhealthy Competition) होगी जिससे अनुचित व्यवहार (Unfair Practices) बढ़ेगा.
अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुमपारा द्वारा याचिका में सीजेआई को भी पक्षकार बनाए जाने पर Supreme Court ने ऐतराज जताया. पीठ ने कहा कि आप 40 साल से अधिवक्ता के रूप में वकालत का अनुभव रखते है. आप कैसे सीजेआई और तीन सदस्यों को पक्षकार बना सकते है.
उत्तरप्रदेश अधिवक्ता कल्याण समिति ने प्रधानमंत्री और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम भेजे ज्ञापन में 11 मांगे रखी है. जूनियर अधिवक्ताओं को प्रतिमाह 10 हजार का स्टाईपेंड देने की भी मांग की गई है.
मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में Advocates' Association Bengaluru के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी और महासचिव टी जी रवि ने कहा है कि ‘कर्नाटक हाईकोर्ट में आम तौर पर अग्रिम जमानत जैसे नए मामलों को सूचीबद्ध होने में कई दिन और कई सप्ताह लगते हैं, लेकिन वीआईपी (अति महत्वपूर्ण लोगों से जुड़े) मामलों पर तुरंत विचार किया जाता है’
जस्टिस प्रतिभासिंह की एकलपीठ ने कहा कि लॉ इंटर्न दिल्ली बार काउंसिल द्वारा निर्धारित सफेद शर्ट, काली टाई और काली पैंट पहनकर राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसर में प्रवेश कर सकते हैं.
केन्द्र के अनुसार वर्ष 2017 में इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के फैसले के पैराग्राफ 74 के संदर्भ में आवेदन पेश किया गया हैं, इस पैराग्राफ 74 में कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट मनोनयन के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों पर फिर से विचार करने का प्रावधान किया था.
एडवोकेट्स एक्ट, 1961 की धारा 32 के तहत कोई भी व्यक्ति अपना केस अदालत में लड़ सकता है.कोर्ट में जज के सामने कोई भी उपस्थित होकर दलील दे सकता है चाहे वह वकील हो या नहीं.
कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अपना केस खुद लड़ना चाहते हैं लेकिन उनके पास लॉ की डिग्री नहीं होती, जिसके कारण वो अपने पांव पीछे खींच लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश की कानून व्यवस्था इस पर क्या कहती है.
कानून से जुड़े लोगों का भी एक ड्रेस कोड निर्धारित है, जिसका पालन ना करने पर उन्हें सजा भी मिल सकती है.
कई पेशों का अपना ड्रेस कोड है जिसका पालन अनिवार्य होता है. कानून से जुड़े लोगों का भी एक ड्रेस कोड निर्धारित है, जिसका पालन ना करने पर उन्हें सजा भी मिलती है. कुछ ऐसा ही हुआ गुवाहाटी हाई कोर्ट में. जब एक वकील कोर्ट में जींस पहनकर दाखिल हो गए थे, जिसके बाद वो हुआ जिसके बारे में जानकर आप अंदाजा लगा लेंगे की ड्रेस कोड का पालन करना कितना जरूरी है.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा मेंशन की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई की सहमति दी है. सीजेआई ने कहा कि वे इसमें प्रशासनिक आदेश भी जारी करेंगे.
राजस्थान विधानसभा में 21 मार्च को ही Advocates (Protection) Bill पारित किया गया था, जिसके साथ ही वकीलों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है.
अधिवक्ता नरवाल की हत्या की त्वरित जांच की मांग को लेकर शुरू हुए विरोध के बाद बार एसोसिएशन अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम की मांग कर रहे हैं.
राजस्थान विधानसभा द्वारा इस विधेयक को पारित किए जाने के बाद अब राजस्थान में अगर किसी ने वकील पर हाथ उठाया तो वह गैर जमानती अपराध माना जाएगा.
कानूनी पेशा एक ऐसा पेशा है जिसका काम केवल लोगों को न्याय दिलाना है ना कि व्यवसाय करना. इससे वकीलों और लॉ फॉर्म्स के बीच खराब प्रतियोगिता (Unhealthy Competition) होगी जिससे अनुचित व्यवहार (Unfair Practices) बढ़ेगा.
अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुमपारा द्वारा याचिका में सीजेआई को भी पक्षकार बनाए जाने पर Supreme Court ने ऐतराज जताया. पीठ ने कहा कि आप 40 साल से अधिवक्ता के रूप में वकालत का अनुभव रखते है. आप कैसे सीजेआई और तीन सदस्यों को पक्षकार बना सकते है.
उत्तरप्रदेश अधिवक्ता कल्याण समिति ने प्रधानमंत्री और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम भेजे ज्ञापन में 11 मांगे रखी है. जूनियर अधिवक्ताओं को प्रतिमाह 10 हजार का स्टाईपेंड देने की भी मांग की गई है.
मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में Advocates' Association Bengaluru के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी और महासचिव टी जी रवि ने कहा है कि ‘कर्नाटक हाईकोर्ट में आम तौर पर अग्रिम जमानत जैसे नए मामलों को सूचीबद्ध होने में कई दिन और कई सप्ताह लगते हैं, लेकिन वीआईपी (अति महत्वपूर्ण लोगों से जुड़े) मामलों पर तुरंत विचार किया जाता है’
जस्टिस प्रतिभासिंह की एकलपीठ ने कहा कि लॉ इंटर्न दिल्ली बार काउंसिल द्वारा निर्धारित सफेद शर्ट, काली टाई और काली पैंट पहनकर राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसर में प्रवेश कर सकते हैं.
केन्द्र के अनुसार वर्ष 2017 में इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के फैसले के पैराग्राफ 74 के संदर्भ में आवेदन पेश किया गया हैं, इस पैराग्राफ 74 में कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट मनोनयन के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों पर फिर से विचार करने का प्रावधान किया था.
कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अपना केस खुद लड़ना चाहते हैं लेकिन उनके पास लॉ की डिग्री नहीं होती, जिसके कारण वो अपने पांव पीछे खींच लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश की कानून व्यवस्था इस पर क्या कहती है.
कई पेशों का अपना ड्रेस कोड है जिसका पालन अनिवार्य होता है. कानून से जुड़े लोगों का भी एक ड्रेस कोड निर्धारित है, जिसका पालन ना करने पर उन्हें सजा भी मिलती है. कुछ ऐसा ही हुआ गुवाहाटी हाई कोर्ट में. जब एक वकील कोर्ट में जींस पहनकर दाखिल हो गए थे, जिसके बाद वो हुआ जिसके बारे में जानकर आप अंदाजा लगा लेंगे की ड्रेस कोड का पालन करना कितना जरूरी है.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा मेंशन की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई की सहमति दी है. सीजेआई ने कहा कि वे इसमें प्रशासनिक आदेश भी जारी करेंगे.