नई दिल्ली: लड़के की चाहत में कुछ दंपति गर्भधारण के प्रारंभिक समय में अल्ट्रासाउंड द्वारा बच्चे के लिंग को जानने को उत्सुक रहते हैं और जैसे ही उन्हे पता चलता है कि गर्भ में पल रहा भ्रूण लड़की है वैसे ही गर्भपात करवाते हैं. ऐसे भी मामले सामने आते हैं जिनमें प्रसव के बाद जब दंपति को पता चलता है कि शिशु लड़की है तो उसे अपनाने से इंकार कर देते हैं.
इस तरह के कृत को हमारे देश के कानून में अपराध माना गया है और इन्ही अपराधों पर लगाम लगाने के लिए ही पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 बनाया गया है.
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques), 1994, यह एक ऐसा अधिनियम है, जो कन्या भ्रूण हत्या और घटते हुए लिंगानुपात को रोकने के लिए लागू किया गया था. इस अधिनियम के अनुसार प्रसव से पहले लिंग की जांच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य गर्भधारण के बाद भ्रूण का लिंग जानने वाली तकनीकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना है साथ ही लिंग आधारित गर्भपात के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीक के दुरुपयोग को रोकना है. इस अधिनियम के अंतर्गत गर्भधारण से पहले या बाद में लिंग की जांच करने पर रोक लगाने का प्रावधान है.
कोई भी प्रयोगशाला या केंद्र या क्लिनिक भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के उद्देश्य से अल्ट्रासोनोग्राफी के साथ कोई भी परीक्षण नहीं करेगा.
गर्भवती महिला या उसके रिश्तेदारों को शब्दों, संकेतों या किसी अन्य विधि से भ्रूण का लिंग नहीं बताया जा सकता. अगर कोई ऐसा करेगा तो वह अपराध माना जाएगा.
इस अधिनियम में गर्भपात करवाने वाले और करने वाले दोनों के लिए ही सजा का प्रावधान किया गया है.
जिसके तहत लिंग जांच करवाने वाले व्यक्ति को तीन से लेकर पांच साल तक की जेल, व 50,000 से लेकर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. यहां गर्भवती महिला की सहमति थी या नहीं जब तक यह पता नहीं चल जाता तब तक अदालत यही मानेगी कि महिला घर वालों के दबाव में ऐसा करवा रही.
वो चिकित्सक जो लिंग जांच तकनीक का प्रयोग करता है वो तीन से पांच साल तक के कारावास से और 10,000 से 50,000 रुपये से दंडित किया जाएगा.
कोई भी व्यक्ति जो प्रसव पूर्व गर्भाधान लिंग निर्धारण सुविधाओं के लिये नोटिस, परिपत्र, लेबल, रैपर या किसी भी दस्तावेज के रूप में विज्ञापन देता है, या इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट रूप में आंतरिक या अन्य मीडिया के माध्यम से विज्ञापन करता है या ऐसे किसी भी काम में शामिल होता है तो उसे दोष मानकर तीन साल की जेल और 10,000 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा.
इस अधिनियम के तहत किए गए अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय है.
. प्रसव पूर्व निदान तकनीक का अपंजीकृत संस्थान में संचालन
. प्रसव पूर्व निदान तकनीक का लिंग जांच के लिए इस्तेमाल.
. लिंग जांच के लिए प्रोत्साहित करने वाला कोई भी विज्ञापन.
.अपंजीकृत संस्थानों को प्रसव पूर्व निदान तकनीक या लिंग जांच करने में सक्षम उपकरण का विक्रय.
. लिंग को निर्देशित करनेवाले निर्देश शब्द, चित्र आदि का प्रकाशन करना.
. न्यायिक मजिस्ट्रेट या मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा प्रसंज्ञान लिया जाएगा.
. परिवाद पर जो समुचित प्राधिकारी द्वारा पेश किया गया है.
.परिवाद पर जो किसी व्यक्ति द्वारा जिसने किसी समुचित प्राधिकारी को 15 दिन का नोटिस दे दिया है पेश किये जाने पर .