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Swati Maliwal Case: मुख्यमंत्री आवास नहीं जाएंगे, सरकार के किसी अधिकारिक पोस्ट पर नियुक्त नहीं होंगे... बिभव कुमार को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लगाई शर्तें

अरविंद केजरीवाल के निजी सहयोगी बिभव कुमार को देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने  दिल्ली के मुख्यमंत्री के निजी सचिव पद पर उनकी बहाली पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक मामले से जुड़े सभी गवाहों के बयान दर्ज नहीं हो जाते तब तक वे मुख्यमंत्री कार्यलय और उनके आवास पर जाने की रोक रहेगी

बिभव कुमार, सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : September 2, 2024 8:26 PM IST

Swati Maliwal Case: अरविंद केजरीवाल के निजी सहयोगी बिभव कुमार को देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने  दिल्ली के मुख्यमंत्री के निजी सचिव पद पर उनकी बहाली पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक मामले से जुड़े सभी गवाहों के बयान दर्ज नहीं हो जाते तब तक वे मुख्यमंत्री कार्यलय और उनके आवास पर जाने की रोक रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बिभव की जमानत का विरोध करने पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा कि प्रतिवादी को दो साधारण चोट के निशान थे. मामले में आरोपी को जमानत का अधिकार है.

मामूली चोटें हैं, आरोपी 100 दिन से ज्यादा जेल में बिता चुका है, सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार को दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि  आरोपी 100 दिन से जेल में है. प्रतिवादी (स्वाति मालीवाल) को दो साधारण चोट के निशान मिले. आरोपी बेल का हकदार है. आपको ज़मानत का विरोध नहीं करना चाहिए.

जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा,

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"मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. जो चोट लगी है, वो मामूली है. आप ऐसे केस में किसी को यूं ही जेल में नहीं रख सकते है. ये जमानत देने का मामला है. आपको ज़मानत का विरोध नहीं करना चाहिए."

एएसजी एसवी राजू ने कहा कि इस केस में कुछ अहम गवाहों के बयान होने है. ये गवाह बिभव कुमार द्वारा प्रभावित किए जा सकते है. एक बार उनके बयान हो जाए, तब मैं जमानत का विरोध नहीं करुंगा .

जस्टिस भुइयां ने जवाब दिया, 

"ऐसे तो हम किसी को भी ज़मानत नहीं दे पाएंगे."

जस्टिस ने बिभव कुमार को कुछ शर्तों के साथ जमानत देने का फैसला सुनाया.

बिभव को राहत तो मिली, लेकिन जमानती शर्ते भी कम कठोर नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार को जमानत देते हुए कुछ जमानती शर्ते भी लगाई हैं. जमानती शर्तों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिभव कुमार मुकदमे से जुड़े लोगों की गवाही पूरी होने तक मुख्यमंत्री आवास पर नहीं जाएंगे. उन्हें दिल्ली सरकार के किसी भी अधिकारिक पोस्ट पर नियुक्त नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर बाहर रहने के दौरान केस की मेरिट पर किसी तरह की बयानबाजी नहीं करेंगे ना ही आम आदमी पार्टी से जुड़ा कोई अधिकारिक व्यक्ति इस मामले पर कोई राय रखेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को भी निर्देश दिया कि वे  कोशिश करें तीन महीने के भीतर मामले से जुड़े गवाहों के बयान दर्ज किए जाएं.

पूरा मामला क्या है?

जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार 13 मई को AAP की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के नाम से दिल्ली पुलिस को कॉल किया जाता है. स्वाति मालीवाल पुलिस को बताती हैं कि दिल्ली के CM हाउस में उनके साथ मारपीट की गई है. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो स्वाति नहीं मिलीं. प्रोटोकाल के तहत दिल्ली पुलिस सीएम हाउस के अंदर नहीं जा सकती है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पर्सनल स्टाफ ने उनके साथ कथित रूप से हाथापाई की. हालांकि, स्वाति उस दिन दिल्ली पुलिस को किसी तरह की लिखित शिकायत नहीं देती हैं.

बता दें कि बिभव कुमार 18 मई से न्यायिक हिरासत में थे.