नई दिल्ली: सरकार के अधीन काम करने वाले व्यक्ति को लोक सेवक (Public Servant) कहते हैं. लोक सेवक की बात को कोई भी नागरिक मानने से इंकार नहीं कर सकता है, उसका पालन हर किसी को करना होगा जो ऐसा नहीं करता उसे अपराधी माना जाएगा. जिसके लिए आईपीसी के तहत सजा का भी प्राविधान है.
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) 1860 की धारा 178, धारा 179 और 180 के तहत लोक सेवक के आदेशों की अवहेलना से जुड़े अपराध के बारे में बताया गया है. इन तीनों ही धाराओं में अपराध की प्रकृति के अलावे दोषी पाए जाने पर मिलने वाली अलग अलग सजा के बारे में भी बताया गया है.
आईपीसी की धारा 178 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे लोक सेवक के कहने पर सच बोलने की शपथ या प्रतिज्ञा नहीं लेता है या इंकार कर देता है, जिस लोक सेवक के पास कानूनी रूप से शपथ या प्रतिज्ञा दिलाने के लिए ताकत है यानि कानूनी रूप से सक्षम है. ऐसे में वह व्यक्ति अपराधी माना जाएगा. इस धारा के तहत दोषी को सादा कारावास की सजा सुनाई जाएगी जिसकी अवधि छह महीने हो सकती है या फिर एक हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर कारावास और जुर्माना दोनों की सजा दी जा सकती है.
आईपीसी की धारा 179 के अनुसार, वह व्यक्ति जो कानूनी रूप से आबद्ध है किसी विषय पर लोक सेवक से सच कहने के लिए. उस व्यक्ति से अगर कोई लोक सेवक अपनी कानूनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए सवाल पूछता है और कानूनी रूप से आबद्ध व्यक्ति सवाल का उत्तर देने से इंकार कर देता है तो वह सजा का पात्र होगा.
इस अपराध के लिए दोषी को छह महीने की जेल की सजा या एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.
जो लोक सेवक किसी से किसी के दिए गए बयान (कथन) पर हस्ताक्षर करवाने के लिए कानूनी रूप से सक्षम है, उसके कहने के बावजूद अगर कोई व्यक्ति अपने दिए गए बयान पर हस्ताक्षर नहीं करता है तो वह IPC की धारा 180 के तहत दोषी माना जाएगा.
इस अपराध के लिए दोषी को सादा कारावास की सजा सुनाई जा सकती है, जिसकी अवधि तीन महीने हो सकती है, या पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.