Evidence Tampering: 19 मई के दिन रैश ड्राइविंग के चलते दो इंजीनियर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. आरोपी नाबालिग था, तो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने निबंध लिखने की शर्तों के साथ त्वरित जमानत दे दी. लेकिन यह बात जब लोगों के सामने आई, तो विवाद ने तूल पकड़ा, कार्रवाई भी तेजी से बढ़ी. परिणामस्वरूप, मामले में अब नाबालिग आरोपी को दोबारा से गिरफ्तार किया गया. सिर्फ उसे ही नहीं, आरोपी के पिता, दादा, बार मैनेजर को भी गिरफ्तार किया गया और अब तक दो पुलिस वालों को भी सस्पेंड कर दिया गया है. इसी क्रम में जब जांच के लिए भेजी गई ब्लड सैंपल में अल्कोहल की मात्रा नहीं मिली, तो जांच करने वाले डॉक्टरों को भी गिरफ्तारी हुई.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने ब्लड सैंपल को छानबीन की, तो ये बात सामने आई कि नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल को उसकी मां के ब्लड से बदला गया है. पुलिस ने कथित तौर पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए मां को गिरफ्तार किया है.
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के सेक्शन 201 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सबूतों को छिपाने, बदलने का प्रयास करता है, जिससे कानून की कार्यवाही में बाधा आएगी, तो इस आचरण को सबूतों से छेड़छाड़ करना कहा जाता है.
अगर किसी को ये पता हो कि अपराध किया गया है, अपराधी को बचाने के लिए किसी साक्ष्य को गायब कर देता है, या बदलता है, तो ये मामला भी सबूतों से छेड़छाड़ करने से जुड़ा है.
अगर कोई आईपीसी के तहत तय मृत्युदंड (Capital Offence) सजा के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करता है, तो अमुक व्यक्ति को कम से कम सात साल जेल की सजा होगी. साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
वहीं, आजीवन कारावास सजा से जुड़े मामलों में सबूत को छिपाने के प्रयास करने पर आरोपी को तीन साल की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
वैसे अपराध, जिनमें दस साल से कम जेल की सजा का प्रावधान हो, वैसे मामलों में सबूतों से छेड़छाड़ करने पर आरोपी को, उस अपराध में मिलने वाली उच्चतम सजा की एक-चौथाई समय जेल की सजा, फाइन या दोनों लगाया जा सकता है.
वहीं, सजा देने से पहले न्यायालय इन बिंदुओं पर भी विचार करती है, जो निम्नलिखित है;
( नोट: यह लेख केवल कानूनी जानकारी देने के उद्देश्य से लिखी गई है. जानकारी में सेक्शन 201 से जुड़ी जानकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा Madesha and Ors vs State of Karnataka मामले में दी गई आर्डर कॉपी (01-08-2007) से लिखी गई है. इस लेख का उद्देश्य किसी भी रूप में किसी को आहत करना नहीं है.)