नई दिल्ली: भारत में कुल मिलाकर 28 राज्य और नौ केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories) हैं और उच्च न्यायालयों की बात करें तो देश में टोटल 25 उच्च न्यायालय (High Courts) हैं। इन सभी उच्च न्यायालयों में कई सारे वकील हैं जो लोगों की तरफ से केस लड़ते हैं और उनका पक्ष अदालत के समक्ष रखते हैं और न्यायाधीश भी हैं जो इन मामलों को सुनकर उसपर फैसला सुनाते हैं। भारतीय संविधान के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की हर महीने की सैलरी कितनी है, उन्हें पेंशन क्या मिलती है और उनके अन्य भत्ते और विशेषाधिकार क्या हैं, आइए सबकुछ जानते हैं...
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय संविधान में निहित 'उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्त) अधिनियम, 1954' (The High Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1954) के तहत एक उच्च न्यायालय की सैलरी और अन्य विशेषाधिकारों के बारे में बताया गया है।
जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के एक मुख्य न्यायाधीश हैं, उसी तरह हर उच्च न्यायालय के भी एक मुख्य न्यायाधीश होते हैं। इस अधिनियम के तहत हाई कोर्ट चीफ जस्टिस (Chief Justice of a High Court) को हर महीने ढाई लाख रुपये (Rs. 2,50,000/-) सैलरी मिलती है, उनकी पेंशन पंद्रह लाख रुपये (Rs. 15,00,000/-) प्रति साल है, साथ में डियरनेस अलाउएंस दी जाती है और बीस लाख रुपये (Rs. 20,00,000/-) ग्रैच्युटी मिलती है।
भत्ते की बात करें तो आठ लाख रुपये (8,00,000/- रुपये) 'साज-सज्जा भत्ता' (Furnishing Allowance) दिया जाता है, उनका 'सत्कार भत्ता' (Sumptuary Allowance) 34 हजार रुपये (34,000/-) प्रति माह है और उन्हें उनकी सैलरी की 24 प्रतिशत राशि 'मकान किराया भत्ता' (House Rent Allowance) के तौर पर दी जाती है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की बात करें तो उन्हें दो लाख पच्चीस हजार रुपये (Rs. 2,25,000/-) प्रति माह सैलरी मिलती है, डियरनेस अलाउएंस और साढ़े तेरह लाख रुपये (Rs. 13,50,000/-) पेंशन दी जाती है और बीस लाख रुपये (Rs. 20,00,000/-) ग्रैच्युटी मिलती है।
हाईकोर्ट जज को छह लाख रुपये 'साज-सज्जा भत्ता' (Furnishing Allowance) मिलता है, 27 हजार रुपये (Rs. 27,000/-) 'सत्कार भत्ता' (Sumptuary Allowance) दिया जाता है और सैलरी का 24 प्रतिशत 'मकान किराया भत्ता' (House Rent Allowance) के तौर पर मिलता है।