आज सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जजों को दस से पंद्रह हजार रूपये पेंशन मिलने के फैसले को दयनीय बताया है. पेंशन की राशि बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि हर मामले में आप कानूनी दृष्टिकोण नहीं अपना सकते, कभी-कभी आपको मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है. यह दयनीय है कि उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10 से 15 हजार रुपये पेंशन मिल रही है. इस पर केन्द्र की ओर से मौजूद अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने शीर्ष अदालत को आश्वस्त किया है कि वे इस मामले को देखेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी हाईकोर्ट के रिटायर जजों के पेंशन से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए आई.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि आप हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण नहीं अपना सकते. कभी-कभी आपको मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है. हाईकोर्ट के कुछ रिटायर न्यायाधीशों को 10,000 से 15,000 रुपये के बीच पेंशन मिलने की बात पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि यह दयनीय है. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और अनुरोध किया कि इस पर जनवरी में सुनवाई की जाए. वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी.
पीठ ने कहा,
"बेहतर होगा कि आप उन्हें (सरकार को) समझाएं कि (इस मामले में) हमारे हस्तक्षेप से बचा जाए तो बेहतर है."
पीठ ने कहा कि मामले का फैसला व्यक्तिगत मामलों के आधार पर नहीं किया जाएगा और शीर्ष अदालत जो भी आदेश देगी, वह सभी हाईकोर्ट के जजों पर लागू होगा.
पिछले महीने इस मामले में से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि हाईकोर्ट के कुछ रिटायर जजों को 6,000 से 15,000 रुपये के बीच मामूली पेंशन मिल रही है. पीठ उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. न्यायाधीश ने कहा था कि उन्हें 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है.
याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा देने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गए थे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
पीठ ने कहा,
‘‘हमारे सामने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, जो चौंकाने वाला है. ऐसा कैसे हो सकता है?’’
इसी साल, मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था कि हाईकोर्ट के रिटायर जजों के पेंशन लाभ की गणना में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे बार या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं. शीर्ष अदालत ने कहा था कि जिला अदालत से पदोन्नत हुए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पेंशन लाभों की गणना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट अब आठ जनवरी के दिन इस मामले पर सुनवाई करेगी.