Indian Independence Act 1947: आज पूरा देश हर्ष और उल्लास से 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. देश के लोग-एक दूसरे को आजादी की बधाई दे रहे हैं. देश की आजादी के लिए शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर रहे हैं. आजादी के ये लड़ाई ना सिर्फ युद्ध के नजरिए से बल्कि कानूनी रूप से भी महत्वपूर्ण है. द्वितीय विश्व के दौरान ही अंग्रेजों के मन में ये बात बैठ चुकी थी कि अब भारत पर ज्यादा दिन शासन करना संभव नहीं है. अंग्रेजों ने शांति से सत्ता हस्तांतरण की पहल शुरू की. भारत के आखिरी गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त से इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 (Indian Independence Act 1947) लागू होने की बात कहीं.
आगे बढ़ने से पहले, अंग्रेज अपने उपनिवेश (Colony) पर ब्रिटिश क्राउन के नाम पर शासन करते थे. उपनिवेश के लिए कानून ब्रिटिश संसद से ही पारित किए जाते थे, बनाए जाते थे. भारत में गवर्नर जनरल (Governor General) ब्रिटिश क्राउन के सर्वोच्च अधिकारी होते थे, उन्ही के माध्यम से अंग्रेज इंग्लैंड से भारत में अपनी पकड़ बनाए रखे थे.
'फ्रीडम एट मिडनाइट' के लेखक डॉमिनिक लापियरे और लैरी कॉलिंस अपनी किताब में कहते हैं कि लॉर्ड माउंटबेटन एक प्रेस कॉफ्रेंस कर रहे थे, उस दौरान भारत की आजादी के दिन लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ये 15 अगस्त 1947 हो सकता है. बाद में घोषणा हुई की ब्रिटिश संसद इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 15 अगस्त 1947 से लागू करने जा रही है.
इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 ब्रिटिश संसद में पास हुआ कानून है जो भारत की आजादी की घोषणा करता है. कानून अखंड भारत को दो भागों, भारत-पाकिस्तान में बांटता है. कानून में दोनों देशों के लिए न्यू डोमिनियम(New Dominion) शब्द का यूज है. कानून भारत को पूरी स्वायत्ता देता है, कानून बनाने के लिए, शासन करने के लिए, ब्रिटिश नियमों को खारिज करने-बदलने के लिए. दूसरे शब्दों में हम एक संप्रभू देश बन चुके थे, जो नियम-कानून, नीति के अनुसार फैसला ले सकता था. इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 15 अगस्त 1947 से लागू हुआ.
इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट की धारा (i) : पंद्रह अगस्त, उन्नीस सौ सैंतालीस से भारत में दो नए स्वतंत्र डोमिनियन स्थापित किए जाएंगे, जिन्हें क्रमशः भारत और पाकिस्तान के नाम से जाना जाएगा.
इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट भारत को दो भागों में बांटती है, उनके दोनों को अपने-अपने क्षेत्र के लिए कानून बनाने की शक्ति देती है. इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट में विधानमंडल (संसद) को ट्रांसफर की गई शक्तियों का जिक्र भी है. भारत ने लोकतांत्रित तरीके से शासन चुना, साथ ही इंग्लैंड की तरह (हाउस ऑफ लॉर्डस और हाउस ऑफ कॉमन्स) की तरह द्विसदनीय परंपरा को चुना है. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 6 इसी बात का जिक्र करती है.
6.-(1) प्रत्येक नए डोमिनियन के विधानमंडल को उस डोमिनियन के लिए कानून बनाने की पूरी शक्ति होगी, जिसमें अतिरिक्त-क्षेत्रीय प्रभाव (Extra-Territorial Operation) वाले कानून भी शामिल होंगे.
(2) किसी भी नए डोमिनियन के विधानमंडल द्वारा बनाया गया कोई भी कानून और किसी भी कानून का कोई भी प्रावधान इस आधार पर शून्य या निष्क्रिय नहीं होगा कि यह इंग्लैंड के कानून के या यूनाइटेड किंगडम की संसद के इस या किसी मौजूदा या भविष्य के अधिनियम के प्रावधानों के या किसी ऐसे अधिनियम के तहत बनाए गए किसी आदेश, नियम या विनियमन के प्रतिकूल है, और प्रत्येक डोमिनियन के विधानमंडल की शक्तियों में किसी भी ऐसे अधिनियम, आदेश, नियम या विनियमन को निरस्त करने या संशोधित करने की शक्ति शामिल है, जहां तक यह डोमिनियन के कानून का हिस्सा है.
अर्थ: नए डोमिनियन के कानून को अंग्रेजी कानून या किसी मौजूदा या भविष्य के यूके संसद अधिनियम के विरोधाभासी होने के कारण अमान्य नहीं माना जाएगा. प्रत्येक डोमिनियन के विधानमंडल के पास अपने कानून में ऐसे अधिनियमों, आदेशों, नियमों या विनियमों को संशोधित या निरस्त करने की शक्ति है.
(3) प्रत्येक नए डोमिनियन के गवर्नर-जनरल को उस डोमिनियन के विधानमंडल के किसी भी कानून को महामहिम के नाम से अनुमति देने की पूरी शक्ति होगी और किसी भी अधिनियम का वह हिस्सा जो महामहिम द्वारा कानूनों की अस्वीकृति या महामहिम की इच्छा पर कानूनों के आरक्षण या महामहिम की इच्छा पर कानूनों के संचालन के निलंबन से संबंधित है, नए डोमिनियन में से किसी के विधानमंडल के कानूनों पर लागू नहीं होगा.
नए डोमिनियन के गवर्नर-जनरल को राजा की ओर से कानूनों को अनुमोदित करने का अधिकार होगा, तथा कानूनों की अस्वीकृति, आरक्षण या निलंबन से संबंधित कुछ प्रावधान नए डोमिनियन के कानूनों पर लागू नहीं होंगे.
(4) नियत दिन को या उसके बाद पारित यूनाइटेड किंगडम की संसद का कोई भी अधिनियम, उस डोमिनियन के कानून के भाग के रूप में किसी भी नए डोमिनियन पर विस्तारित नहीं होगा, या विस्तारित माना जाएगा, जब तक कि उसे डोमिनियन के विधानमंडल के कानून द्वारा विस्तारित नहीं किया जाता है.
नियत दिन के बाद, यूनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा पारित कोई भी अधिनियम नए डोमिनियन के कानून का हिस्सा नहीं माना जाएगा, जब तक कि डोमिनियन का विधानमंडल इसे विस्तारित न कर दे (जो कि लगभग असंभव है).
भारतीय इंडिपेंडेंस एक्ट लागू होने के बाद भारत के राजनेताओं के समक्ष देश को चलाने वाले के लिए एक कानून की जरूरत हुई, इस दौरान देश में जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई में एक अंतरिम सरकार बनी, संविधान सभा का गठन हुआ और 2 साल 11 महीने 18 दिन में हमारा संविधान तैयार हुआ, जिसे हमने 26 जनवरी 1950 को लागू किया.