आज दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने भारतीय फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक कोई पीड़ित पक्ष इसकी शिकायत नहीं करता, तब तक वह किसी भी प्रकार की जांच का आदेश नहीं दे सकती. याचिकाकर्ता अजीश गोपी ने जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण के मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग को निर्देश देने की मांग की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस विभु बखरू और जस्टिस तुषार राव गेडेला ने स्पष्ट किया कि जब तक कोई पीड़ित शिकायत नहीं करता, तब तक वे किसी भी व्यापक जांच का आदेश नहीं दे सकते. अदालत ने यह भी कहा कि याचिका पूरी तरह से अनुमान पर आधारित है और इसमें कोई ठोस डेटा नहीं है.
अदालत ने कहा,
"हम तब तक जांच नहीं करेंगे जब तक पीड़ित पक्ष से कोई शिकायत नहीं आती. आपकी याचिका न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे एक और अदालत देख रही है."
अदालत ने ये भी कहा कि याचिका में किसी विशेष व्यक्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न का कोई विशिष्ट आरोप नहीं लगाया गया है, जिसके लिए कोई उपाय उपलब्ध नहीं है.
याचिकाकर्ता अजीश कलाथिल गोपी ने 'पूरे फिल्म उद्योग' (Entire Film Industry) में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से महिला आयोग को कार्रवाई करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस संबंध में संबंधित प्राधिकरणों को शिकायत भी की है.
हालांकि, अदालत ने याचिका में किसी विशेष व्यक्ति के यौन उत्पीड़न की शिकायत का उल्लेख नहीं होने पर इसे अस्वीकार कर दिया.