नई दिल्ली: एक हफ्ते पहले हरियाणा के नूंह जिले में डेमॉलिशन ड्राइव शुरू हुई जिसके चलते जिला प्रशासन द्वारा लगभग 750 बिल्डिंग्ज जिनमें घर, दुकान और अवैध स्ट्रक्चर्स शामिल हैं, का डेमोलिशन (Demolition) हुआ। अधिकारियों का यह कहना है कि जिन संरचनाओं को डेमॉलिश किया गया, उन्हें सरकारी जमीन पर बनाया गया था और हाल ही में हुए सांप्रदायिक हिंसा (Nuh Communal Violence) के दौरान संदिग्ध व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किया गया था।
इस डेमॉलिशन ड्राइव पर हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) ने रोक भी लगाई है, और अदालत ने सरकार से कहा है कि अगले आदेश तक कोई डेमॉलिशन नहीं किया जाएगा। इसी के चलते, आइए जानते हैं कि देश में अवैध विध्वंस की प्रक्रिया किन कानूनों के तहत पूरी की जाती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में अवैध विध्वंस (Illegal Demolition) को लेकर कानून हैं लेकिन ये काफी कॉम्प्लेक्स हैं और यह हर राज्य के लिए अलग हैं। अवैध विध्वंस को विनियमित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भी कुछ कानून बनाए गए हैं, जैसे, 'भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996' (Building and Other Construction Workers Welfare Cess Act 1996) और 'राष्ट्रीय भवन संहिता, 2005' (National Building Code of India, 2005)।
केंद्र के इन कानूनों का कार्यान्वयन और प्रवर्तन राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। आइए जानते हैं कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अवैड विध्वंस की प्रक्रिया किन कानूनी प्रावधानों के तहत पूरी की जाती है।
आपको बता दें कि हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973' (The Haryana Municipal Act, 1973) में राज्य में अवैध डेमॉलिशन का प्रावधान है। इस अधिनियम की धारा 208 (Section 208 of the Haryana Municipal Act) नगरपालिका समिति को निर्माणाधीन इमारत को रोकने या ऐसी इमारत को ध्वस्त करने का आदेश देने में सक्षम बनाती है जो ऐसे नोटिस की तारीख से 6 महीने के भीतर पूरी हो गई हो।
1973 के अधिनियम के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राज्य सरकार ने हरियाणा नगर भवन उपनियम, 1982 (Haryana Municipal Building Bye-laws, 1982) और हरियाणा भवन संहिता, 2017 (Haryan Building Code, 2017) को भी अधिसूचित किया है।
'दिल्ली नगरपालिका अधिनियम, 1957' की धारा 343 (Section 343 of The Delhi Municipal Corporation Act 1957) के अनुसार एक नोटिस जारी किया जाना चाहिए अगर एक इमारत अवैध रूप से, बिना मंजूरी के या फिर बिल्डिंग उपनियमों का उल्लंघन करते हुए बनाई गई हो। आयुक्त मालिक को आदेश दे सकते हैं कि वो बीमार्ट को पांच से पंद्रह दिनों के बीच डेमॉलिश कर दें; अगर ऐसा नहीं होता है तो आयुक्त खुद उस इमारत के विध्वंस का आदेश दे सकते हैं।
इस नियम के जरिए यह भी स्पष्ट किया जाता है कि अगर आयुक्त के आदेश से कोई असन्तुष्ट या दुखी है, तो वो अपीलीय न्यायाधिकरण (Appellate Tribunal) में, डेमॉलिशन ऑर्डर में दिए गए समय के भीतर याचिका दायर कर सकता है। इस अपील पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधिकरण विध्वंस के आदेश पर रोक भी लगा सकता है।
उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 की धारा 27(1) (Section 27(1) of the UP Urban Planning and Development Act, 1973) में उल्लेख किया गया है कि राज्य में इल्लीगल डेमॉलिशन की प्रक्रिया किस तरह पूरी की जाएगी।
इस अधिनियम के अनुसार, 'जहां कोई भी विकास मास्टर प्लान के उल्लंघन में या अनुमति अनुमोदन या मंजूरी के बिना शुरू किया गया है या किया जा रहा है या पूरा किया गया है, तो उपाध्यक्ष यह निर्देश दे सकता है कि ऐसे विकास को ऐसी अवधि के भीतर ध्वस्त करके हटा दिया जाएगा जो आदेश की प्रति जारी होने की तारीख से 15 दिन से कम नहीं होनी चाहिए और 40 दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।'
इस अधिनियम में यह भी बताया गया है कि अगर उपाध्यक्ष के विध्वंस के आदेश से कोई क्षुब्ध है तो वो अध्यक्ष के समक्ष अपील कर सकता है; यह अपील विध्वंस के ऑर्डर के तीस दिन के अंदर दायर की जानी चाहिए। इस अपील की सुनवाई के बाद अध्यक्ष द्वारा लिया गया फैसला अंतिम होगा और उसपर अदालत में भी सवाल नहीं उठाया जा सकेगा।