Amritpal Singh And Engineer Rashid: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं. इस बार की नतीजे से सभी खुश हैं. EVM से भी विपक्ष को गिला-शिकवा नहीं है. NDA को जनाधार मिला है और वे 9 जून को नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. ऐसे में सवाल उन दो नेताओं का भी है, जो जेल में बंद है. नतीजे आने के बाद उन्होंने सभी को चौंका दिया लेकिन कहीं ना कहीं उनके प्रशंसकों में ये सवाल का उठना लाजिमी है कि वे शपथ कैसे ले पाएंगे, सदन की सदस्यता कैसे ग्रहण करेंगे. वे दोनों नेता है, अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद. खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्वाचित हुए हैं. फिलहाल, वे असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं. इंजीनियर राशिद जम्मू-कश्मीर की बारामुल्ला सीट से चुनाव जीते हैं और वह आतंकी फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
कानूनी तौर पर, अमृतपाल सिंह और शेख अब्दुल रशीद को 18वीं लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी. फिर भी उन्हें संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने का संवैधानिक अधिकार है. चुनाव जीतने के बाद पद की शपथ लेना संवैधानिक अधिकार है. लेकिन अगर जीतने वाला उम्मीदवार जेल में है, तो उसे शपथ ग्रहण समारोह के लिए अधिकारियों से इजाजत लेनी पड़ेगी और शपथ लेने के बाद उन्हें वापस से जेल लौटना होगा.
अगर कोई सांसद या विधायक सदन से लगातार साठ दिनों तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी जगह को रिक्त मान लिया जाएगा यानि उसकी उम्मीदवारी खत्म हो जाएगी. संविधान के अनुच्छेद 101 (4) में लिखा है, यदि सदन का कोई सदस्य सदन की अनुमति के बिना साठ दिनों तक सभी बैठकों से अनुपस्थित रहता है, तो सदन द्वारा उनकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है.
ऐसे में अमृतपाल सिंह या इंजीनियर राशिद को जमानत नहीं मिल पाती है तो उनकी उम्मीदवारी पर खतरा बढ़ सकता है. वहीं, सदन में उपस्थित रहने के लिए उन्हें अदालत से बेल लेने की जरूरत होगी.
यदि इंजीनियर राशिद या अमृतपाल सिंह को दोषी ठहराया जाता है और उन्हें दो साल जेल की सजा दी जाती है, वे जनप्रतिनिधि कानून के तहत सदन की सदस्यता खो देंगे.
जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की सेक्शन 8 के मुताबिक किसी विधायक या सांसद को अदालत द्वारा किसी मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो दोषसिद्धी के दिन के छह साल तक उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी जाती है.
कानून की धारा 8(1) में उन अपराधों की सूची है, जिसमें सजा सुनाए जाने पर प्रतिनिधि छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
वहीं, कानून की धारा 8(3) ये स्पष्ट करती है कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल से अधिक सजा होती है तो उसकी सदन की सदस्यता चली जाती है और अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी.