हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट से गुजारा भत्ता देने के मामले में पत्नी को राहत नहीं मिली है. उच्च न्यायाल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी को अपने बेरोजगार, बीमार पति को हर महीने गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए है. गुजारा भत्ता के तौर पर उसे पति को 10,000 रूपये प्रतिमाह देने हैं. सुनवाई के दौरान पत्नी ने उच्च न्यायालय को बताया कि, फिलहाल वह बेरोजगार है. उसने बैंक की ब्रांच मैनेजर पोस्ट से इस्तीफा दिया है. वह अपने पति को गुजारा भत्ता देने में असमर्थ है. हालांकि उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने पत्नी को अपने बीमार, बेरोजगार पति को दस हजार रूपये गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस शर्मिला देशमुख की एकल-जज बेंच ने पत्नी की याचिका पर की सुनवाई की. याचिका में पत्नी ने कहा, कि वह फिलहाल बेरोजगार है. उसने 2019 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया है. साथ ही उसके अपने खर्चे हैं, उसे बच्चे का भरण-पोषण भी करना है. पत्नी ने याचिका में त्याग-पत्र भी लगाया है.
बेंच ने याचिका पर गौर किया. सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट ने पाया कि इस्तीफा देने के बाद भी महिला के पास आय का स्त्रोत था. वह खर्चे का वहन कर रही है. महिला ने ट्रायल कोर्ट को बताया था कि उसे होम लोन के साथ-साथ बच्चे का खर्च का भी उठाना है. ट्रायल कोर्ट ने देखा कि नौकरी से इस्तीफा देने के बाद भी महिला ने अपने खर्च का वहन कर रही थी.
बेंच ने कहा. याचिकाकर्ता के वकील ने यह नहीं बताया कि वर्तमान समय में पत्नी की आय क्या है? वहीं, पत्नी को कुछ खर्चे हैं, लेकिन उसने गुजारा भत्ता के तय के दौरान सारी बातों का जिक्र नहीं किया हैं. हालांकि, बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.
साल, 2016 में पति ने तलाक की मांग के लिए याचिका दायर की जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे गुजारा भत्ता की मांग की. सुनवाई हुई. ट्रायल कोर्ट ने पत्नी द्वारा गुजारा भत्ता की मांग को खारिज कर दिया. साथ ही, उसे पति को हर महीने दस हजार रूपये देने के आदेश दिए. पत्नी ने ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी.
अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया है.