भारी हंगामे व विपक्ष की आपत्ति के बाद वक्फ संशोधन अधिनियम, 2024 को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास भेजे जाने की चर्चा हो रही है. आज केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2024 को लोकसभा के पटल पर रखा. वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 के सदन में आते ही विपक्ष ने इसका पूरजोर विरोध किया. विपक्ष ने दावा किया कि ये विधेयक संविधान के आर्टिकल 30 उल्लंघन करती है, जिससे माइनोरिटी के अधिकारों को संरक्षित करने के अधिकारों को चुनौती दिया जा रहा है.
विपक्ष के दावे को नकारते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि अब किसी के अधिकारों के हनन की बात भूल जाइए, हम तो सभी अधिकार दिलाने की बात कर रहे हैं. इतना कहकर किरेन रिजिजू अपने सरकार से वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास भेजने की बात कही, जिस पर सदन में मौजूद स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि वे सभी नेताओं से बात करके इस कमेटी के गठन की चर्चा करेंगे.
संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) संसद द्वारा किसी विशिष्ट, समस्या या उद्देश्य के समाधान के लिए बनाई जाती है. ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन दो परिस्थितियों में हो सकती है, पहला जब विधेयक एक सदन से पारित होने के बाद दूसरे सदन में खारिज कर दिया जाता है
साथ ही संसदीय समिति बनाने का दूसरा तरीका ये है कि दोनों सदन (लोकसभा व राज्यसभा) के पीठासीन अधिकारी एक-दूसरे को पत्र लिखकर संयुक्त समिति बनाने की मांग कर सकती है.
संयुक्त संसदीय कमेटी में राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदन के सदस्य शामिल होते हैं. इसमें राज्यसभा के सदस्य लोकसभा की सदस्य की तुलना में आधे होगें. उदाहरण के तौर पर इसमें अगर जेपीसी में कुल सदस्यों की संख्या 30 है तो उसमें से 20 सदस्य लोकसभा से होंगे.
साथ ही वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2024 मामले में स्पीकर सदन के सदस्यों के साथ बातचीत करके ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बनाने की मांग घोषणा कर सकते हैं. साथ ही सदस्यों की संख्या को लेकर भी स्पीकर अपनी इच्छा जता सकते हैं.