आज वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई है. पहला, कांग्रेस नेता व सांसद मोहम्मद जावेद और दूसरा एआईएआईएम सुप्रीम कोर्ट असदुद्दीन ओवैसी ने दायर की है. दोनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इस विधेयक को खारिज करने की मांग की है. कांग्रेस नेता ने इस विधेयक भेदभावपूर्ण (Discriminatory) बताया है. AIMIM सांसद ने वक्फ विधेयक संशोधन को को चुनौती देते हुए कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन है. AIMIM सांसद ओवैसी ने वक्फ एक्ट ने हुए बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
बिहार के किशनगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तर्क दिया है कि यह विधेयक संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है. वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर मनमाने प्रतिबंध लगाता है और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को कमज़ोर करता है. याचिका में दावा किया गया है कि विधेयक में ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं जो अन्य धार्मिक अनुदानों के प्रशासन में मौजूद नहीं हैं. याचिका में इस्लाम धर्म को अपनाने वालों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया गया है, जो धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करना चाहते हैं. साथ ही, वक़्फ़ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को धार्मिक शासन में अनुचित हस्तक्षेप बताया है. यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की प्रकृति निर्धारित करने की शक्ति जैसे प्रमुख प्रशासनिक कार्यों को वक्फ बोर्ड से जिला कलेक्टर को स्थानांतरित करता है. इससे वक्फ प्रबंधन की स्वायत्तता कमज़ोर होती है और मुस्लिम समुदाय के अपने संस्थानों का प्रबंधन करने के अधिकार का उल्लंघन होता है. विवाद समाधान की प्रक्रिया में बदलाव से इस्लामी कानून में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व कम हो जाता है.
बीते देर रात वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित किया गया है. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 सदस्यों ने पक्ष में और 95 ने विरोध में वोट किया. वहीं, लोकसभा में 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया और 232 ने इसका विरोध किया. संसद ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को भी मंजूरी दे दी, जिसे राज्यसभा ने मंजूरी दे दी। लोकसभा पहले ही विधेयक को अपनी मंजूरी दे चुकी है